सांयकालीन आरती एवं गुरु भक्ति में उमड़ रही भक्तो की भीड संसार परिभ्रमण समाप्त करने के लिए बहिरंग और अंतरंग तप के माध्यम से शाश्वत सुख प्राप्त होगा आचार्य श्री वर्धमान सागर जी
टोंक 10 लक्षण पर्व में अनेक पर्व समाहित है प्रतिदिन आप 10 लक्षण धर्म की और इंद्र ध्वज महामंडल विधान की पूजन कर रहे हैं। सात राजू मोक्ष जाने के लिए 10 धर्म 10 सीढ़ियां है। एक गाथा श्लोक के माध्यम से बताया कि चार कषाय क्रोध, मान, माया और लोभ की मंदता से क्षमा, मार्दव, आर्जव ओर शौच भाव ,सत्य,संयम,तप और त्याग से मुक्ति ओर आकिंचन्य और ब्रह्मचर्य धर्म ही सार है।धर्म रूपी लिफ्ट भगवान ओर जिनवाणी ने दी हैं।
संयम तप त्याग आदि धर्म से मोक्ष सुख के पाने के लिए शक्ति ऊर्जा मिलती हैं यह मंगल देशना आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने उत्तम तप धर्म की विवेचना में दी। राजेश पंचोलिया के अनुसार आचार्य श्री ने अनेक उदाहरणों से आगे बताया कि जिस प्रकार कोयले को अग्नि में जलाने से कालिमा दूर होकर सफेद राख के रूप में प्राप्त होती है। खदान के स्वर्ण को 16 ताव अग्नि के देने के बाद शुद्ध खरा स्वर्ण प्राप्त होता है उसी प्रकार आत्मा में जो कर्मों की अशुद्धि मालिनता है उसे भी संयम तप द्वारा दूर किया जाता है।6 बहिरंग और 6 अंतरंग तप होते हैं अनशन में चारों आहार भोजन का त्याग, अवमौद्र्य तप में भूख से कम आहार लेना, व्रत परिसंख्यान में मंदिर में लिए नियम अनुसार आहार लेना, रस परित्याग में नमक,तेल,दूध,दही, धी,चीनी मीठा का संपूर्ण या आंशिक कुछ रसों का त्याग, विवित्त शय्यासन तप में ब्रह्मचर्य,स्वाध्याय,ध्यान, एकांत में करना, और कायक्लेश में शरीर से ममता हटाकर तप करना यह 6 बहिरंग तप है इसी प्रकार 6 अंतरंग तप में गुरु के समक्ष दोषों की आलोचना कर दंड लेना प्रायश्चित तप, देव शास्त्र गुरुओं की प्रशंसा, स्तुति ,वंदना विनय तप, गुरुओं की सेवा करना वेयाव्रत तप, शास्त्रों का अध्ययन मनन चिंतन स्वाध्याय तप, मन को एकाग्र कर आत्म चिंतन ध्यान तप हैं। एक सेठ के एक पुत्र और 5 पुत्री की कथा के माध्यम से णमोकार मंत्र के 35 उपवास करने से सब कष्ट दूर होकर सुख संपदा मिलती हैं टोंक में भी मुनि श्री हितेंद्र सागर जी ,अन्य साधु और श्रावक श्राविकाएं शक्ति अनुसार उपवास कर रहे हैं। तप में संकलेश परिणाम नहीं होना चाहिए। तप में उत्साहपूर्वक मन को वश नियंत्रित करने से धर्म का पालन होता हैं।सम्यक दर्शन श्रद्धा पूर्वक तप करना चाहिए आचार्य श्री ने बताया कि संसार परिभ्रमण समाप्त करने के लिए बहिरंग और अंतरंग तप के माध्यम से शाश्वत सुख प्राप्त होता है। समाज प्रवक्ता पवन कंटान और विकास जागीरदार अनुसार संघ सानिध्य में विधानाचार्य कीर्तिय के निर्देशन में नित्य अभिषेक के बाद इंद्र ध्वज मंडल विधान की पूजन प्रतिदिन चल रही है जिसमे इंद्र इंद्राणियो सौधर्म इंद्र दिनेश छामूनिया,टोनी आंडरा, नेमीचंद बनेठा, महावीर प्रसाद दाखिया, मुकेश बरवास, रमेश काला, अंकुर पाटनी, नरेंद्र छामुनिया,ओम ककोड़ विकास अत्तार, अनिल सर्राफ, सुनील सर्राफ, कमल सर्राफ पुनीत जागीरदार, अभिषेक आंडरा, महावीर प्रसाद पासरोटीया, सत्यप्रकाश दाखिया आदि ने बड़े भक्ति भाव से पूजन किया । सांंयकालीन आरती व गुरु भक्ति में भक्तो की भीड़ उमड़ रही है । तथा रात्रि में प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे है । राजेश पंचोलिया इंदौर से प्राप्त जानकारी संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312

