उत्तम संयम धर्म के साथ सुगंध दशमी पर्व मनाया गया उपलब्धि जीवन चलाने से नहीं होती उपलब्धि कंट्रोल करने से होती है आचार्य श्री विनिश्चय सागर महाराज 

धर्म

उत्तम संयम धर्म के साथ सुगंध दशमी पर्व मनाया गया उपलब्धि जीवन चलाने से नहीं होती उपलब्धि कंट्रोल करने से होती है आचार्य श्री विनिश्चय सागर महाराज 

 रामगंजमंडी

दशलक्षण 6 वे दिन को उत्तम संयम दिवस के रूप में मनाया गया इसी के साथ सुगंध दशमी पर्व मनाया गया सभी ने जिनालयो की वंदना करते हुए धूप क्षेपन की।प्रातः की बेला में आचार्य श्री 108 विनिश्चय सागर महाराज ने उत्तम संयम धर्म पर प्रकाश डाला 

 

 

 

उन्होंने कहा जब कोई पहली बार गाड़ी चलाता है और कोई व्यक्ति किसी को गाड़ी चलाना सिखाता है तो वह कहता है गाड़ी चलाना महत्वपूर्ण नहीं है गाड़ी को कंट्रोल करना महत्वपूर्ण है। गाड़ी चलाना तो आ गया लेकिन कंट्रोल करना नहीं आया तो तो कही न कही जाकर भिड़ जाओगे उसी प्रकार जीवन चलाना सबको आ गया पूरी समझदारी के साथ व्यापार के साथ मंदिर आकर पूजन करने के साथ जीवन चलाना तो सबको आ गया लेकिन कंट्रोल करना नहीं आया। आपको आंख चलाना तो आता है लेकिन उस पर कंट्रोल करना नहीं आता। कान चलाना तो सबको आता है सुन लेते हो लेकिन कंट्रोल करना नहीं आता। कंट्रोल के बाद ही तप हो सकता है अगर कंट्रोल नहीं है तो तप भी नहीं हो सकता।

       कंट्रोल संयम से आता है 

 आचार्य श्री ने कंट्रोल कैसे आता है इस विषय पर बताते हुए कहा कि कंट्रोल संयम से आता है यदि हम संयम कर पाते हैं तो कंट्रोल आता है। हमें संयम इतने वर्षों में संयम हमें बार बार दस्तक दी है लेकिन हम कंट्रोल करना नहीं सीखे। तप करना सरल है लेकिन संयम कठिन है।

 

इंद्रिय और मन संसार की जड़ है 

 आचार्य श्री ने इंद्रिय और मन को संसार की जड़ बताते हुए कहा कि इंद्रियां जिस गति से चलती हैं और मन को उन इंद्रियों में अनंत का गुणा किया जाए तो मन उस गति से चढ़ता है। दोनों मिलकर जीव का तमाशा बना देते हैं जीव के लिए पापी बना देते हैं जीव को संसारी बना देते हैं जीव को नरक भेज देते हैं निगोद भेज देते हैं। मन और इंद्रिय चोर है। यह हर जगह उपस्थित है फिर भी हमें अपने आप पर कंट्रोल करना है। 

        संयम आसक्ति से नहीं विरक्ति से आता है

   उन्होंने गाड़ी का उदाहरण देते हुए कहा कि गाड़ी बनी अगर बिना ब्रेक की होती तो आपके घर में होती नहीं मरने के लिए कोन लेता गाड़ी कंपनी यदि बिना गेयर और एक्सीलेटर के बना दे ले लेंगे लेकिन बिना ब्रेक की गाड़ी नहीं लेंगे जब हम गाड़ी बिना ब्रेक की नहीं ले सकते और आपने अपना पूरा जीवन बिना ब्रेक के व्यतीत कर दिया उन्होंने कहा जैन दर्शन कहता है कि संयम आसक्ति से नहीं विरक्ति से आता है।

 

दैनिक जीवन में इतना नियम संकल्प तो कर लो यह कार्य करेंगे और यह कार्य नहीं करेंगे। अगर इतना नहीं कर पाए तो आप कंट्रोल में नहीं आ पाएंगे। जब इंद्रियां और मन कंट्रोल में होगी तो जीवो की रक्षा का भाव आएगा और होगा ही होगा यदि इसका आपने पालन किया तो आप संयमी है और आप संयम की और बढ़ रहे हैं। हम अपने कीमती जीवन को खराब कर रहे है अगर कंट्रोल नहीं है तो हमारे पास कुछ भी नहीं है। 

 

 

 

आचार्य श्री ने कहा कि असावधानी प्रमाद और आलस तो बहुत है लेकिन कंट्रोल से उसे कंट्रोल किया जा सकता है। संयम का मतलब यह होता है कि मैं प्रमाद पर कंट्रोल करूंगा। मैं आलस को छोडूंगा अगर यह छूट जाते हैं तो समझ लेना आपके पास संयम होता है। 

   अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी की रिपोर्ट 9929747312

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *