आचार्य श्री विनिश्चय सागर महाराज सानिध्य में घटयात्रा ध्वजारोहण संकलीकरण के साथ पंचकल्याण प्रतिष्ठा महोत्सव का हुआ शुभारभ आचार्य श्री ने पंचकल्याणक महोत्सव का महत्व समझाया

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आचार्य श्री विनिश्चय सागर महाराज सानिध्य में घटयात्रा ध्वजारोहण संकलीकरण के साथ पंचकल्याण प्रतिष्ठा महोत्सव का हुआ शुभारभ आचार्य श्री ने पंचकल्याणक महोत्सव का महत्व समझाया 

रामगंजमंडी

परम पूज्य आचार्य श्री 108 विनिश्चय सागर महाराज सानिध्य में पांच दिवसीय पंचकल्याण प्रतिष्ठा महोत्सव का शुभारंभ हो गया ब्रह्मचारी नमन भया के निर्देशन में यह महोत्सव होने जा रहा है प्रातः की बेला से ही भक्तों का मंदिर आना शुरू हो गया था। सर्वप्रथम देव आज्ञा उपरांत आचार्य श्री से पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव निर्विघ्न संपन्न हो उसके लिए देव आज्ञा ली गई साथ ही नगर के प्रमुख मार्ग से होते हुए घट यात्रा भी निकली घट यात्रा में भी अपार उत्साह देखने को मिल रहा था इसके उपरांत मुख्य पंडाल में श्री जी को विराजमान कर अभिषेक शांति धारा की गई। वेदी शुद्धि, मंडप शुद्धि आदि की क्रियाएं संपन्न की गई। 

 

 

 

आयोजन की शुरुआत के क्रम में सर्वप्रथम ध्वजारोहण किया गया जो श्रीमान भगवान स्वरूप पदम कुमार नीरज कुमार देवरी वाले खानपुर वाले परिवार की ओर से किया गया। मंदिर जी का वातावरण भक्ति से ओत प्रोत रहा इसी क्रम में इंद्र प्रतिष्ठा सकलीकरण आदि की क्रियाएं संपन्न की गई साथ ही याग मंडल विधान किया गया 

 

 

 

दोपहर की बेला में भगवान की माता की गोद भराई की गई एवं भगवान के गर्भ कल्याण की खुशियां मनाई गई। इस महोत्सव में भगवान के माता-पिता बनने का परम सौभाग्य श्रीमती सुधा जयकुमार डूंगरवाल परिवार को प्राप्त हुआ है।

 

परम पूज्य आचार्य श्री 108 विनिश्चय सागर महाराज ने पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का महत्व समझाया उन्होंने कहा हम अपने परमात्मा का गर्भकल्याणक मना रहे हैं इसकी विशेषता है यह सामान्य नहीं है, इन क्षणों में तीनों लोक क्षण क्षण के लिए सुकून प्राप्त करते हैं। ऐसे महान जीवो का हम गर्भ कल्याणक मनाते हैं। 

    तीनों लोकों का ज्ञात कराना है तो विशेष बनना पड़ता है 

   आचार्य श्री ने कहा यदि हमें तीनों लोकों को ज्ञात कराना है तो विशेष बनना पड़ता है। हमे ही नहीं बनना पड़ता जन्मदाता को और गर्भधारण करने वाले को भी विशेष बनना पड़ता है। 

 

   आज मदर्स डे है 

  उन्होंने गर्भ कल्याणक के विषय में कहा कि आज मदर्स डे है क्योंकि गर्भ कल्याणक ही मां दिवस है। तीर्थंकर को गर्भ में धारण करने की योग्यता चाहिए। यह सबके बस की बात नहीं होती जो तीर्थंकर भगवान की अनंत भक्ति करते हैं ऐसे जीव तीर्थंकर भगवान को गर्भ में धारण कर पाते हैं। परमात्मा से गले मिलकर नहीं जोड़ा जाता परमात्मा को अपनी आस्था को जोड़ा जाता है। इतनी गहराई से जुड़ जाता है कि मनुष्य बने तो तीर्थंकर बन जाए महापुरुष बन जाए और महिलाएं हैं तो तीर्थंकर की माता बन जाए ऐसे जुड़ना चाहिए।

पंच कल्याणक के 5 दिन अनमोल है आपके लिए 

    आचार्य श्री ने पंचकल्याणक महोत्सव के लिए कहा कि यह पंचकल्याणक के 5 दिन आपके लिए अनमोल हैं आचार्य श्री ने कहा कि यह पंचकल्याणक महोत्सव के 5 दिन आपके लिए अनमोल हैं यह क्षण अमूल्य है आपके लिए तीन लोको की संपत्ति एक तरफ है यदि आपका भाव कल्याणको के प्रति है, तीर्थंकर भगवान के पांचो कल्याणक हमारे भावों में हमारी क्रियाओ में चलने फिरने में मात्र उनके कल्याणक और कुछ भी नहीं चाहिए फिर देखो आनंद 

 

 

झोली फैला रहे तो छोटी क्यों फैला रहे। 

     आचार्य श्री ने एक कथन के माध्यम से कहा कि यदि हम झोली फैला रहे हैं तो छोटी क्यों फैला रहे हैं इस विषय पर गुरुजी ने कहा कि इतनी बड़ी फैलाओ की देने वाला थक जाए,ऐसा मांगों की मांगने वाला सोच में पड़ जाए लोग भगवान शांतिनाथ के समक्ष आकर कहते हैं कि मेरी दुकान नहीं चल रही मेरी दुकान चल जाए भगवान के समक्ष झोली इतनी बड़ी कर दो की जैसे आप हो वैसा ही होना हमें जो आपके पास है वैसा का वैसा ही हमें चाहिए उसमें सुई की नोक के बराबर भी नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं भगवान के सामने छोटा भिखारी बनकर नहीं जाता मैं बड़ा भिखारी बनकर जाता हूं। भावना ही भा रहे हो तो ऐसी भाव की अदभुत हो। वह भावना अपनी आत्मा में ऐसी दस्तक दे दे ऐसा हस्ताक्षर दे दे की आप भी तीर्थंकर हो, आप भी केवली हो। ऐसी भावना भाओ कमजोर भावना भाने से मतलब क्या है धराशाई हो जाएगे यदि कमजोर भावना भाएंगे तो। 

 

रामगंजमंडी के लोग कमजोर नहीं है। ऐसी झोली फैलाना की देने वाला सोच में पड़ जाए। 5 दिनों में यही काम करना है कि अपनी भावनाओं को इतना ऊपर ले जाना है कि हमें अगर इच्छा हो तो भावना हो तो मोक्ष की हो तीर्थंकर पद की हो, मोक्ष की हो, अनंत चतुष्टय की हो। 

 

  आज जो मै हु आचार्य विराग सागर जी महाराज की वजहसे हूं 

   आचार्य श्री के गुरु आचार्य श्री 108 विराग सागर महाराज के आचार्य 

पदारोहण दिवस पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आज में जो कुछ भी हूं आचार्य श्री विराग सागर महाराज की वजह से हु, अगर गुरुदेव नहीं होते तो मैं भी नहीं होता। मैं नहीं होता तो मेरे पास भी कुछ भी नहीं होता। सारी की सारी कृपा उनकी है और यह सारा आशीर्वाद उन्हीं का है। मनुष्य पर्याय को सार्थक करने के लिए आचार्य विराग सागर महाराज ने मुझे वरदान दिया कि मुझे दिगंबर बनाया। उनके उपकारों को हम सिर्फ स्मरण कर सकते हैं। 

 

 रविवार को मनाया जाएगा जन्म कल्याणकमहोत्सव 

  रविवार की बेला में जन्म कल्याणक महोत्सव मनाया जाएगा इस कड़ी में भगवान का जन्मकल्याणक मनाया जाएगा एवं जन्म की खुशियां मनाई जाएगी इसके उपरांत जन्म कल्याण की शोभायात्रा नगर के प्रमुख मार्ग से होते हुए कृषि उपज मंडी पहुंचेगी जहां बनी पाण्डुक शिला पर श्रीजी का अभिषेक होगा।

      अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी की रिपोर्ट 9929747312

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