पंचकल्याणक महोत्सव के द्वितीय दिवस मनाया गया जन्मकल्याणक एवम निकली शोभायात्रा

धर्म

पंचकल्याणक महोत्सव के द्वितीय दिवस मनाया गया जन्मकल्याणक एवम निकली शोभायात्रा

रामगंजमंडी

परम पूज्य आचार्य श्री 108 विनिश्चय सागर महाराज सानिध्य में हो रहे पंचकल्याण महोत्सव के द्वितीय दिवस भगवान का जन्म कल्याणक महोत्सव मनाया गया।

 

 

 

जन्म कल्याणक की पूर्व रात्रि में गर्भ कल्याणक की क्रिया हुई इंद्र दरबार लगाया गया एवं माता के 16 सपनो का मंचन किया गया।

रविवार की प्रातः बेला में श्री का अभिषेक शांति धारा उपरांत जन्म कल्याणक महोत्सव की पूजन की गई एवं जन्म कल्याणक महोत्सव मनाया गया जन्म कल्याणक महोत्सव की बेला में जेसे ही तीर्थंकर बालक का जन्म हुआ वैसे ही इंद्र का सिंहासन कमपाए मान होने लगा और उसके उपरांत खुशियां मनाई गई साथ ही कुबेर इंद्र द्वारा रत्न वृष्टि की गई , नृत्य किए गए इस बेला में सोधर्म इंद्र इंद्राणी संवाद के साथ कुबेर इंद्र इंद्राणी का संवाद भी दर्शाया गया सभी ने अपार खुशियां मनाई जैसे ही यह घोषणा हुई कि भगवान का जन्म हो गया है सारा मंच खुशियों से झूम उठा और जय जयकार करने लगा और भक्ति नृत्य करने लगा संपूर्ण महोत्सव विधि विधान के साथ ब्रहमचारी नमन भैया करवा रहे हैं। इस बेला में पूरा वातावरण भक्ति से ओत प्रोत था।

इसके उपरांत समस्त इंद्र इंद्राणी को बग्गी में बिठाकर भव्य शोभायात्रा निकाली गई जो बहुत ही भव्य एवम अलौकिक थी इस शोभायात्रा में सभी भक्त जय जयकार भक्ति नृत्य करते चल रहे थे एवं नगर के प्रमुख मार्गो से होते हुए यह शोभायात्रा कृषि उपज मंडी पहुंची जहां पाण्डुक शिला पर सोधर्म इंद्र द्वारा तीर्थंकर बालक का जन्मअभिषेक किया गया शोभायात्रा का जगह स्वागत किया गया वही आदिनाथ जैन श्वेतांबर श्री संघ की और से अध्यक्ष राजकुमार पारख के नेतृत्व में स्वागत किया गया क्या बच्चे क्या युवा सभी भक्ति से ओत प्रोत थे। सन 2007 के बाद हुए नगर में हुए पंचकल्याणक महोत्सव मे जन्म कल्याणक की निकली शोभायात्रा में उत्साह भरपुर था 2007 में जो पंचकल्याणक हुआ था वह 2 मई से 7 मई तक आहुत हुआ था और 4 मई को जन्म कल्याणक महोत्सव मनाया गया था उस समय अतिथि के रूप में उस समय राज्य के गृहमंत्री रहे गुलाबचंद कटारिया थे।

 

 

 

पुरुषार्थ बड़ा होना चाहिए आचार्य श्री

जन्म कल्याणक महोत्सव की बेला में आचार्य श्री 108 विनिश्चय सागर महाराज ने मंगल प्रवचन देते हुए कहा कि पुण्य आता कैसे है इसके विषय में बताया कि झोली तो इतनी बड़ी है लेकिन पुरुषार्थ सुई की नोक के बराबर है। पुरुषार्थ भी बड़ा होना चाहिए आस्था बड़ी होनी चाहिए आस्था जितनी विशाल होगी पुण्य उतना अधिक आपके पास आएगा।

पुण्य रंग बदलता है

आचार्य श्री ने कहा कि पुण्य भी रंग बदलता है अक्सर आप देखना पुण्य जब मुख मोड़ता है जब आपको उसकी जरूरत है पुरुषार्थ इतना करो कि उसे मुंह मोड़ने का समय ही ना मिले। भगवान का जन्म कल्याणक होता है तो सोधर्म इंद्र का सिंहासन भी कंपायमान होने लगता है वह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि मेरा सिंहासन क्यों डाल रहा है।

 

पुण्य के संदर्भ में गुरुदेव ने कहा कि जहां शांत परिणाम होते हैं वहां पुण्य का आना ही होता है। पुण्य का उदय होता है तो तीर्थंकर के माता पिता एवं इंद्र आदि हो सकते हैं। शांत परिणाम से ही पुण्य कमाया जाता है शांत परिणाम होंगे तो परिवार में पुण्य आएगा और पाप नहीं आएगा।

 

जन्म दिन पर केक काटना जेनो का कल्चर नहीं

उन्होंने कहा कि आपका जिस दिन जन्मदिन होता है उसे दिन आपके काटते हैं यह दिगंबर और जैनों का कल्चर नहीं है जिस दिन आपका जन्मदिन हो उस दिन अभिषेक करो और जिससे आपका बैर हो उससे क्षमा मांगो सही मायने में यह जन्मदिन है। इस अवसर पर चातुर्मास हुए कार्यक्रमों की एक स्मारिका का भी विमोचन किया गया।

 

अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी की रिपोर्ट 9929747312

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