रत्नत्रय धर्म से सिद्धालय की और गमन किया जाता हैं आचार्य श्री वर्धमान सागर जी
सलूंबर
आचार्य शिरोमणी पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज सलूंबर के जैन बोर्डिंग भवन में संघ सहित विराजित है आज की धर्म सभा में णमोकार मंत्र का महत्व ,लाभ प्रतिपादित कर बताया कि णमोकार मंत्र शक्तिशाली, बलशाली और अपराजित मंत्र है। जिनवाणी का सार णमोकार मंत्र है। जाप करते समय मन स्थिर होना चाहिए, तभी कार्य सिद्ध होगा मन और इंद्रियों की चंचलता के कारण जाप में मन चंचल होता है इसलिए मंत्र के जाप के समय मन का स्थिर होना बहुत जरूरी है।

मंत्रों में णमोकार मंत्र में शक्ति है सामर्थ है इससे पुण्य मिलता है और पापों का क्षय होता है। ब्रह्मचारी गजू भैय्या ,राजेश पंचोलिया अनुसार आचार्य श्री ने बताया कि आप देव शास्त्र गुरु की भक्ति ,पूजन कर रहे हैं तीर्थंकर भगवान की दिव्य देशना को सुनने वाला श्रोता बुद्धिमान एवं ग्रहण करने योग्य होता है तभी भगवान के देशना खिरती है।

गौतम गणधर स्वामी के नहीं होने तक 66 दिनों तक भगवान के दिव्य देशना सुनने को नहीं मिली गणधर स्वामी तीर्थंकर प्रभु की दिव्य देशना को झेल कर शास्त्रों में लिपिबद्ध कर हम सब को उपलब्ध कराते हैं। लक्ष्मीलाल ढालावत, ललित भीमावत,प्रभुलाल

जैन दोषी, मनोहर लाल ढालावत, शांतिलाल गुनावत अनुसार आचार्य श्री ने बताया आप हम सब पुण्यशाली है कि हमें भी कभी ना कभी भगवान के समवशरण में श्रोता बनने का सौभाग्य मिला यद्यपि वर्तमान के पंचम काल में समवशरण नहीं होते हैं क्योंकि दिव्य ध्वनि देने वाले तीर्थंकर भगवान नहीं होते हैं।



आचार्य श्री ने बताया कि जिनवाणी के चार अनुयोग में शिक्षा और ज्ञान और महापुरुषों के चरित्र का वर्णन है आप आत्म परिणामों से सुख या दुख का अनुभव करते हैं आप लोग जाने अनजाने में कर्म का बंघ कर लेते हैं ।वर्तमान में जिनवाणी में सात तत्वों का उल्लेख है जीव कर्मों का आश्रव करता है इस कारण कर्मों से बंधी आत्मा संसार में परिभ्रमण करती है ।एक उदाहरण से आचार्य श्री ने बताया कि दूध से दही जमाया जाता है दही को बिलोल कर मक्खन निकाला जाता है और उस मक्खन को जब अग्नि में तपाया जाता है तब सार घी की प्राप्ति होती है इसी प्रकार आपको संयम तप आदि पुरुषार्थ से जिनवाणी के चारों अनुयोग का सार सम्यक ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है। सम्यक दर्शन सम्यक ज्ञान और सम्यक चारित्र से आप सिद्धालय को गमन कर सकते हैं ।आचार्य श्री ने णमोकार मंत्र का विस्तृत विवेचन कर सरल शब्दों में सभी को बताया कि णमोकार मंत्र अपराजित मंत्र है, यह बलशाली शक्तिशाली मंत्र है ,इसे मन को स्थिर रखकर इसके जाप किए जाते हैं ,तो चाहे लौकिक शिक्षा हो या व्यापार हो , जीवन में इससे इससे पुण्य की प्राप्ति होकर पापों का क्षय होता है। जिनवाणी का सार णमोकार मंत्र है यह मंगल कारी है इसलिए आप सभी आत्मा को परमात्मा बनाने का पुरुषार्थ कर मनुष्य जीवन को सार्थक करे। इसके पूर्व संघस्थ शिष्या आर्यिका श्री वत्सल मति माताजी के प्रवचन हुए। आगामी 21 जनवरी से 25 जनवरी 2024 को होने वाले पंच कल्याणक कार्यक्रम हेतु सैकडो समाज जन राजस्थान सहित अनेक राज्यों में घर घर जाकर ठंड कोहरे के बावजूद उत्साह और भक्ति से सुबह से देर रात्रि तक निमंत्रण पत्रिका दे रहे हैं स्थानीय अयोध्या नगरी का निर्माण कार्य भी पूर्णता की और हैं। राजेश पंचोलिया इंदौर से प्राप्त जानकारी संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

