अन्तर्मना उवाच* (01 जून!)वो जाने कैसे* —*मुकद्दर की किताब लिख देता है..*साँसे गिनती की है, और*ख़्वाहिशें बेहिसाब लिख देता है..!*

धर्म

*अन्तर्मना उवाच* (01 जून!)वो जाने कैसे* —*मुकद्दर की किताब लिख देता है..*साँसे गिनती की है, और*ख़्वाहिशें बेहिसाब लिख देता है..!*

*वो जाने कैसे* —
*मुकद्दर की किताब लिख देता है..*
*साँसे गिनती की है, और*
*ख़्वाहिशें बेहिसाब लिख देता है..!*

 

 

*जिन्दगी ऐसे भागे जा रही है जैसे हाथ से रेत।* फिर भी *हम जान बुझ कर अंधे बने हैं, आँखन बांधी पाटी।* यदि हमारी आँख अब भी नहीं खुली तो फिर कब आँख खोलोगे-? तुम्हारी आँखें हमेशा हमेशा के लिए बंद हो जाए, इससे पहले *अपनी आँखों में, प्रभु नाम का काजल आंज लेना, धर्म ध्यान का काजल आंज लेना, आँखों में सत्कर्म का काजल आंज लेने की कला सीख लेना।* छोटे बच्चे सुंदर होते हैं, लेकिन जब माँ उनकी आँखों में काजल आंज देती है, तो वह और भी अधिक सुंदर लगने लगते हैं। काजल अंजे सुंदर सलोने बच्चे को, हर आदमी गोद में लिए घूमता है।

 

 

 

यदि *तुमने भी अपनी आँखों में, प्रभु भक्ति का – गुरु भक्ति का काजल आंज लिया,* तो फिर तुम्हें भी प्रभु गोद में लेकर घूमने लगे तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है। और *जिसे प्रभु अपनी गोद में ले ले*, उसे मृत्यु अपनी गोद में कभी नहीं सुला सकती है।

 

 

 

 

*जीवन उसका ही सुधरेगा, जो आँख बंद होने से पहले आँख खोल लेगा…!!!*। नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद से प्राप्त जानकारी संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312

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