द्वेष भाव रखने वाला व्यक्ति अगर गौशाला आ जाता है तो उसके अंदर स्नेह भाव उत्पन्न हो जाता है प्रणम्यसागर महाराज
तेंदूखेड़ा
नगर की आचार्य श्री विद्यासागर दयोदय गौशाला में अर्हम योग प्रणेता प्रणम्यसागर महाराज सानिध्य में पशु चिकित्सालय का अनावरण किया गया। इस अवसर पर गौशाला में जमीन अनुदान देने वह इसमें सहयोग करने वालों का भी सम्मान किया गया।
मुनि संघ के सानिध्य में मंत्रों के उच्चारण के साथ द्वार खोलकर इसका अनावरण किया गया। पूज्य मुनि श्री ने गौशाला का महत्व बताते हुए इस अवसर पर कहा कि जिस गौशाला में सुबह से वातावरण बना हुआ है श्री जी का विहार होकर यहां पर वर्तमान स्त्रोत्र विधान के माध्यम से पूजन हुआ है। भगवान श्री जी का आगमन हो गया हो, एवं मुनि संघ का आगमन हो गया हो, वह स्थान पवित्र हो जाता है एवं तीर्थ स्थान बन जाता है। यहां पर आने के बाद किसी भी व्यक्ति के ह्रदय में अपने आप स्नेह भाव उत्पन्न हो जाते हैं। और किसी भी व्यक्ति के अंदर द्वेष भाव हो और वह गौशाला आ जाता है तो उसके अंदर स्नेह भाव उत्पन्न हो जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि गाय से अनेक लाभ हैं, छठवीं कक्षा में पढ़ाया जाता है कि गाय हमारी माता है। हमें आपस में प्रेम रखना है तो गाय और बछड़े का प्रेम देखना चाहिए। गाय और बछड़े का स्नेह ही जैन दर्शन में वात्सल्य धर्म है। सभी लोगों को प्रेम भाव से वात्सल्य भाव से रहना चाहिए। आचार्य ने कहा है कि गाय और बछड़े की तरह हमारे अंदर प्रेम भाव रहना चाहिए। गाय आपके अंदर मनोभाव परिवर्तित करने और सकारात्मक ऊर्जा देने का संदेश लेकर आती है।
भारतीय संस्कृति के विषय में बोलते हुए मुनि श्री ने कहा कि आज भारतीय संस्कृति का विनाश कहें की आज के लोगों ने गाय को बाहर कर दिया है। और कुत्तों को अपने घर बांध लिया है। जबकि पहले यह जमाना था कि घर में जब पहली रोटी बनती थी तो वह गाय की होती थी और आखरी रोटी कुत्ते की होती थी। आज ब्रेड व्यक्ति खुद नहीं खाएगा, लेकिन कुत्ते को पहले ब्रेड खिलाएगा। गाय तो उसके दिमाग से चली गई। हमारी मानसिकता जैसे जैसे बदलती जाएगी और हमारा दिमाग किस तरह से भारतीय संस्कृति के विपरीत चला जाएगा। वैसे ही हमारी तरक्की के अवरोध होने लगेंगे।
हम उन्नति की ओर ना जाकर अवनति की ओर बढ़ने लगे हैं। इस अवसर पर मुनिश्री ने गौशाला कमेटी के अध्यक्ष संजय जैन के कार्यों की सराहना की।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

