आचार्य श्री विद्यासागर महाराज की गुरुता का कोई पार नही नहीं पा सकता विमल सागर महाराज
मंदसौर।
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के परम शिष्य मुनि श्री विमल सागर महाराज संघ सानिध्य में मंदसौर में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को गुरुद्वारा रोड स्थित श्रेयांसनाथ दिगंबर जैन मंदिर में विनयाजली दी गई।
इस अवसर पर आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के प्रति भाव प्रकट करते हुए मुनि श्री भवसागर महाराज ने कहा कि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने कई बार 44 घंटे तक ध्यान लगाया था। वे मुक्तिधाम में भी ध्यान लगाते थे। उनके दर्शन करने प्रमुख लोग आते थे, उन्होंने 135 गौशालाओं के माध्यम से गायों की रक्षा की। इंडिया नहीं भारत बोलने पर जोर देते थे। हिंदी भाषा को महत्व देते थे। हथकरघा के माध्यम से कैदियों को रोजगार दिया। उनकी उम्र 77 वर्ष 4 माह थी।उन्होंने कहा कि आचार्य श्री ने मृत्यु को महोत्सव बनाया। बिना जल भोजन के लगातार नो उपवास किए थे।

इस अवसर पर मुनि श्री अनंत सागर महाराज ने कहा कि आचार्य श्री की अनूठी साधना थी गुरुदेव कहते थे कि तत्व चर्चा के माध्यम से क्षमता आती है। उन्हें रोग के कारण भी विषमता नहीं आती थी।







इस अवसर पर मुनि श्री विमल सागर महाराज ने कहा कि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज विश्व के संत थे उनकी गुरुत्व का कोई पर नहीं था। वह इस युग के महातीर्थ थे। उनके दर्शन के लोगों के रोम रोम पुलकित हो जाते थे। यह बहुत सारे तीरथ बनाकर गए हैं। समय सागर महाराज को पद सौंप कर गए हैं। जिन्होंने गुरु के गुना को आत्म साथ कर लिया है।

इस अवसर पर भानपुरा के शंकराचार्य श्री ज्ञानानंद जी ने कहा कि विश्व के महान तपस्वी की हानि हुई है। युगों युगों में ऐसे विद्यासागर आते हैं। वे सदैव अंतरिक्ष में रहेंगे। उनकी वाणी सदैव रहेगी।

इस अवसर पर सांसद सुधीर गुप्ता ने कहा कि अपने परिवार व संसदीय क्षेत्र की ओर से विनयाजली अर्पित करता हूं। सभा का संचालन सुनील दलेरा, गोपी अग्रवाल, दिलीप रांका ने किया।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

