बचपन मे सन्तान को ऊगली पकड़ धर्म से जोड़ो तो वही बुढ़ापे में हाथ नही छोड़ेंगे:- मुनि युधिष्ठिर सागर
कामा
बच्चों में धर्म का बीजारोपण करने की जिम्मेदारी अभिभावकों को शिद्दत से निभानी चाहिए। क्योकि संस्कारो का शंखनाद बचपन से ही प्रारम्भ हो जाता है। यदि बचपन से संस्कार रोपित किये गए तो फिर जीवन मे कभी वह संस्कारविहीन नही हो सकता है। और कभी अनैतिक क्रियाओं में संलिप्त भी नही होगा,हमेशा धर्म और धार्मिक क्रियाओं में संलग्न हो जीवन मे उच्च आदर्श की स्थापना करने में सफल होगा।
उक्त प्रवचन दिगम्बर मुनि युधिष्ठिर सागर महाराज ने कामां के शान्तिनाथ दिगम्बर जैन दिवान मन्दिर में श्रावकों से व्यक्त किये। दिगंबर मुनिश्री ने कहा कि बच्चों को लौकिक शिक्षा दिलाने में ही हम व्यस्त रहते हैं और उन्हें कभी सन्तो के सानिध्य में लेकर नही आते हैं। जीवन निर्वाह हेतु लौकिक शिक्षा आवश्यक है किंतु धर्म ही मनुष्य के जीवन की सार्थकता को इंगित करता है। मुनि श्री ने कहा कि बचपन मे ऊगली पकड़ कर यदि आप अपनी संतान को मन्दिर व सन्तो के समीप लाओगे तो बुढ़ापे में वो ही सन्तान आपका हाथ पकड़ कर मन्दिर और सन्तो के समीप ले जाएगी।
युवा परिषद के अध्यक्ष मयंक जैन लहसरिया के अनुसार जैन मुनि का डीग से विहार करते हुए प्रातः कामां में प्रवेश हुआ तो वही श्रावकों ने पाद प्रक्षालन व आरती कर आगवानी की। विहार में सुभाष चंद जैन,धर्मचंद जैन,दीपक जैन,अभिषेक जैन,भारत जैन,ऋषभ जैन आदि युवा साथ चल रहे थे। संजय जैन बड़जात्या के अनुसार मुनि श्री आदिनाथ भगवान अतिशय क्षेत्र भुसावर से विहार करते हुए कामां पधारे हैं और पुनः जनुथर, नदबई होते हुए भुसावर पहुचेंगे।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

