हम प्रेम की मिठास बढ़ाएं और अहंकार की खटास घटाएं…आचार्य प्रज्ञासागर
उज्जैन
साधु भ्रामरी वृत्ति से आहार लेता है।जिसतरह भ्रमर फूल को कष्ट पहुंचाएं बिना पराग ग्रहण करता है थी किसी तरह साधु भी दाता को कष्ट दिए बिना थोड़ा थोड़ा आहार ग्रहण करता है।साधु की चर्या को गोचरी भी कहते है जिसतरह गाय ऊपर ऊपर की घास खाती है ताकि दूसरे दिन फिर उसी जंगल में घास मिल सकें ठीक इसी तरह साधु भी श्रावक के घर जाकर थोड़ा थोड़ा आहार ग्रहण करता है ताकि श्रावक के लिए भी भोजन बचा रहें।इसे ही अतिथि संविभाग भी कहते है।
उक्त विचार सुबह स्वाध्याय प्रवचन करते हुए प्रज्ञा सागर महाराज ने व्यक्त किये।
प्रवचन के पश्चात आहारचर्या हुई।आहार के पहले दामिनी सोनी ने अपने जन्मदिन पर सौरभ के साथ पादपूजा की।फिर आहारदान का लाभ लिया।आहार के बाद रूपेन और प्राची ने अपनी शादी की सालगिरह पर पादपूजा करके आशीर्वाद प्राप्त किया।इसके बाद श्रीमती निधि लुहाड़िया ने अपने जन्मदिन पर परिवार के साथ पाद प्रक्षालन करके आशीर्वाद प्राप्त किया।
दोपहर तत्त्वार्थ सूत्र जी की क्लास लेते हुए स्वाध्याय किया एवं शिष्यों के साथ उपस्थित भक्तों को भी धर्मोपदेश देते हुए धर्मलाभ दिया।इसी बीच श्री हुकुमचंद जी सांवला दर्शनार्थ आएँ।स्वाध्याय के बाद प्रतिक्रमण किया।
पूज्य गुरुदेव ने आनंदयात्रा में चारभक्तों के प्रश्नों का समाधान किया।चारों प्रश्न एक से बढ़कर एक थे तो चारों के जवाब भी लाजवाब रहे।पहला प्रश्न था सौरभ बड़जात्या का।सौरभ ने पूछा-आज पारिवार में समरसता क्यों कम हो रही है तो मैंने कहा-वर्तमान में हमारे परिवार से प्रेम घट रहा है और अहंकार बढ़ रहा है।यही कारण है कि समरसता समाप्त हो रही है।हमारा दायित्व है कि हम परिवार में प्रेम की मिठास बढ़ाएं और अहंकार की खटास कम करें।इसके लिए समय रहते सावचेत होने की जरूरत है।
उज्जैन के ख्यातनाम कवि कैलाश तरल उपस्थित हुए उनके दो गीतों का आनंद उपस्थित लोगों ने झूमते हुए लिया।समिति द्वारा उनका स्वागत किया गया।आनंदयात्ररा के बाद पूछें गए प्रश्नों के जवाब क्रमशः सौरभ बड़जात्या इंदौर, रश्मि कासलीवाल उज्जैन, आदि ने प्रदान किये।
आनंदयात्रा के बाद आचार्य श्री ने कल के कार्यक्रम की सूचना देते हुए कहा-मैं कल सुबह 7 बजे के बाद तपोभूमि से पुष्पगिरी के लिए विहार करूंगा।कल की आहारचर्या विक्रम यूनिवर्सिटी में होगी।जहाँ दोपहर 1 बजे से मैं शिक्षा में क्रांति इस विषय पर विशेष व्याख्यान दूंगा।इस अवसर पर समाज के लोग भी आकर लाभ ले सकते है अतः आप सभी आकर लाभ लें और समाज का गौरव बढ़ाएं।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

