भगवान महावीर मरीचि और सिंह पर्याय से पुरुषार्थ कर भगवान बने है ऐसी उन्नति और पुरुषार्थ की क्षमता केवल मनुष्य पर्याय में है।आचार्य श्री वर्धमान सागर जी

धर्म

भगवान महावीर मरीचि और सिंह पर्याय से पुरुषार्थ कर भगवान बने है ऐसी उन्नति और पुरुषार्थ की क्षमता केवल मनुष्य पर्याय में है।आचार्य श्री वर्धमान सागर जी
महावीर जी

अतिशय क्षेत्र में पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिघि के सानिध्य में 24 वर्षो बाद श्री महावीर स्वामी के महामस्तकाभिषेक के संघ सहित विराजित है।

उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा की डी
धरती में सर्वश्रेष्ठ जन्म मनुष्य पर्याय का माना जाता है। और इसमें भी अधिक सौभाग्य की बात यह है इस पर्याय मे केवल ज्ञान लक्ष्मी रूपी प्राप्त करने की मनुष्य में यह क्षमता है, कि वह अपने परम पुरुषार्थ से भगवान द्वारा प्रतिपादित पुरुषार्थ के द्वारा केवल ज्ञान रूपी लक्ष्मी को प्राप्त कर सकता है।

 

 

रत्नत्रय के द्वारा अर्थात सम्यक दर्शन ,सम्यक ज्ञान और सम्यक चारित्र के द्वारा जिन शासन की प्रभावना में संलग्न होकर रत्नत्रय के द्वारा आत्मा को पुरुषार्थ कर ,दान तप कर पूजा विद्या के द्वारा आत्मा से परमात्मा बनने की राह पर अग्रसर हो सकता है।

 

यह मंगल देशना आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने पंच कल्याणक के निष्ठापन कार्यक्रम में प्रकट की । आचार्य श्री ने आगे बताया कि,दान करने से जैन धर्म की प्रभावना होती है जिन पूजा आप रोजाना करते हैं विशेष पर्व और महा महोत्सव में जिन पूजा करने से जैन धर्म की प्रभावना होती है। ।साधु समागम से और सानिध्य से कार्य मंगल पूर्वक संपन्न होते हैं।

श्री महावीर भगवान के 24 वर्षों बाद महा मस्तकाभिषेक के लिए प्रमुख सानिध्य के लिए अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी प्रबंध कार्यकारिणी समिति के अनुरोध पर संघ ने कर्नाटक से राजस्थान आने का मानस बनाया संघ ने स्वीकृति देकर 16000किलोमीटर से अधिक का कर्नाटक से विहार किया ।आप हवाई जहाज या चार पहिया वाहन से यात्रा करते हैं किंतु संघ ने दो पावो के द्वारा संकल्प शक्ति से महावीरजी में पदार्पण किया ।दिगंबर साधु पद विहार करते हैं आगम अनुसार और नियम उप नियम के पालन में निर्दोष चर्या पूर्वक विहार करते हैं ।वर्षा योग में सभी साधुओं का चातुर्मास सहज रूप से पूर्ण हुआ पंचकल्याणक समिति महा मस्तकाभिषेक समिति वर्षा योग समिति ने संघ के प्रति निष्ठा पूर्वक समर्पण भाव से यथा योग्य सेवा की । महावीर जी पदार्पण पर अन्य आचार्य संघ मुनि संघ आर्यिका संघ ने भी साधर्मी वात्सल्य भाव का परिचय दिया।

पंचकल्याणक प्रतिष्ठा को ख्याति प्राप्त पंडित श्री हंसमुख शास्त्री प्रतिष्ठाचार्य द्वारा कुशलतापूर्वक संपन्न कराया इस बार अलग-अलग मंदिरों में प्रतिष्ठा करने हेतु प्रतिमाएं विराजित थी जिसे पंडित जी ने अपने सहयोगियों के साथ कुशल नेतृत्व से उचित कार्य प्रणाली से संपूर्ण कार्य को आगम अनुसार पूर्ण कराया ।आप अपने जीवन में इन पंचकल्याणक को देखकर, प्रतिष्ठा कार्यक्रमों को देखकर जीवन में शिक्षण प्राप्त करें जिस प्रकार मरीचि की पर्याय के बाद सिंह की पर्याय में दो मुनि राजो के संबोधन से सिंह का जीव मनुष्य पर्याय में उन्नति कर भगवान महावीर बन सकता है ,ऐसे ही उन्नति आप भी करें और सिद्धालय के मार्ग पर अग्रसर हो। विश्व ,देश ,राज्य ,समाज में मंगल हो ,सुख शांति प्राप्त हो ऐसी मंगल भावना आचार्य श्री ने व्यक्त की। उल्लेखनीय है कि आचार्य श्री का श्री महावीर जी 18 जुलाई 2022 को संघ सहित पदार्पण हुआ। 142 दिनों के चातुर्मास सहित प्रवास के बाद 6 दिसंबर को निवाई होते हुए किशनगढ़ की ओर विहार होगा
राजेश पंचौलिया इंदौर
वात्सल्य वारिघि भक्त परिवार

संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

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