गुरु किंग मेकर होते है आचार्य कनकनदी
भीलूड़ा
शांतिनाथ जैन मंदिर सभागार में अंतरराष्ट्रीय वेबीनार को संबोधित करते हुए वैज्ञानिक धर्माचार्य कनक नंदी गुरुदेव ने गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि गुरु किंग मेकर होते हैं। गुरु पंचेेंद्रीय को वश में
करते हैं।मन को दास बनाकर रखते हैं। वह मन विजयी विश्व विजयी होते हैं। गुरु शिष्य का निर्माण करने वाले ब्रह्मा होते हैं। ज्ञान रूपी अमृत पान से शिष्यों का पोषण करते हैं अतः विष्णु हैं। रूद्र की तरह दोषो का सहार करते हैं। संसार रूपी महा अटवी में गुरु ही मोक्षमार्ग दिखाते हैं। शिष्य का अज्ञान रूपी अंधकार गुरु ही दूर करते हैं। गुरु की पूजा, आराधना, गुणगान,भक्ति अवश्य करना चाहिए। जिस प्रकार पत्थर पर उत्तम बीज भी विकसित नहीं हो सकता वैसे ही आध्यात्मिक गुरु बिना शिष्य का विकास नहीं होता। देवों में भी आध्यात्मिक गुरु नहीं होते इसलिए मनुष्य बनने के लिए, भारत में जन्म लेने के लिए तरसते हैं। गुरु बिना सभी पशु समान हैं। गुरु ही पशु से पशुपति, नर से नारायण बनाते हैं। गुरु भक्ति के कारण राजस्थान के लोग किसी भी राज्य में जाते हैं या विदेश में भी होते हैं तो प्रसिद्ध तथा धनवान हो जाते हैं। तीर्थंकर भी गुरु कृपा से ही प्राथमिक धार्मिक बने हैं, गुरूपदेश से ही सम्यक दृष्टि बनते हैं। नरक, निगोद में जाने से बचाने वाले गुरु ही हैं। पंचम काल में गुरु ही आत्मा से परमात्मा बनने के लिए मोक्ष मार्ग बताने वाले होते हैं। क्योंकि पंचम काल में तीर्थंकर नहीं होते हैं। अतः तीर्थंकर के लघु नंदन साधु संसार के दुखों में जलते हुए जीवो का उद्धार करते हैं। गुरु के निर्देश बिना ध्यान भी सम्यक नहीं हो सकता। गुरु ही आत्मज्ञान देते हैं। आत्मज्ञान बिना जीव का विकास नहीं होता, इंद्रियों का दमन भी नहीं हो सकता। गुरु आज्ञा बिना प्राथमिक सम्यकदृष्टि भी नहीं बन सकते। जो भव का नाश करें, संसार का नाश करें वह गुरु है। ऐसे गुरु का शासन, आज्ञा, भक्ति को स्वीकार करना चाहिए। गुरु बिना सभी लौकिक सुख, धन संपत्ति, ज्ञान विज्ञान व्यर्थ है। गुरु स्वपद स्वगुण देते हैं। गुरु से ही अनंत, अक्षय सुख प्राप्त करने का मार्ग मिलता हैं।
विजय लक्ष्मी गोदावत से प्राप्त जानकारी
संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमडी

