आर्यिका श्री वत्सलमती माताजी ने किया केश लोचन
टोंक प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांति सागर जी महाराज की अक्षुण्ण मूल बाल ब्रह्मचारी पट्ट परंपरा के पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिधि 108 आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज टोंक अतिशय क्षेत्र में विराजित है आचार्य श्री के शिष्य मुनि श्री प्रणीत सागर जी महाराज ,आर्यिका श्री वत्सल मति , आर्यिका श्री प्रेक्षा मति माताजी ने आज केशलोचन किया आर्यिका संघ के केश लोचन के समय पूरा आर्यिका संघ सभी श्राविकाओं ने वैराग्य से ओतप्रोत भजन गाए।
केश लोचन के बारे में संघ की आर्यिका श्री महायश मति जी ने चर्चा में बताया कि प्रत्येक दिगंबर साधु को 2 माह से 4 माह की अवधि के भीतर के केश लोचन करना अनिवार्य है केशलोच दिगंबर साधु का मूल गुण है । केश लोचन के माध्यम से शरीर से राग और मोह दूर होता है केश लोचन की प्रक्रिया में माताजी ने बताया कि केश्लोचन करते समय केवल राख का उपयोग किया जाता, जैन धर्म अहिंसा प्रधान धर्म है बालों का लोचन अगर नहीं किए जाएं तो उसमें छोटे-छोटे जीवो की उत्पत्ति होने की संभावना होती है जैन साधु अहिंसा धर्म के महाव्रती होते हैं।
बाल हाथों से इसलिए उखाड़े जाते हैं कि बालों को कटिंग करने के लिए सेविंग कराने के लिए अन्य द्रव्य की आवश्यकता होती है जैन साधु अपरिग्रही होते हैं। इसलिए जैन साधु अपने हाथ से केशलोचन करते हैं बाल सौंदर्य का प्रतीक हैं इससे राग और आकर्षण होता है।
केश लोच से शरीर से ममत्व दूर होता है केश लोचन के समय तप,संयम, धैर्य के साथ धर्म की प्रभावना होती है जिस दिन जैन साधु केशलोच करते हैं उस दिन उपवास करते हैं ।
केश लोचन देखकर अनुमोदना करने से पुण्य की प्राप्ति होती है कर्मों की निर्जरा होती है। इस अवसर पर अनेक समाज जन उपस्थित रहे। अनेक महिलाओ ने वैराग्य पूर्ण भजन गाकर केशलोचन की तपस्या की अनुमोदना की।राजेश पंचोलिया इंदौर से प्राप्त जानकारी संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312




