गुरु व सज्जन पुरुष जगत कल्याण के लिए ही जन्म लेते हैं मुनि श्री सुधा सागर महाराज केसली नगर में प्रवेश पर 3 किलोमीटर लंबी निकली शोभा यात्रा
केसली
परम पूज्य निर्यापक श्रमण पूज्य मुनि श्री 108 सुधा सागर महाराज का केसली नगर में मंगल आगमन हुआ। मुनि श्री के आगमन पर लगभग तीन किलोमीटर लंबी शोभायात्रा निकाली जो अपने आप में अभूतपूर्व थी। देसी लोक संगीत के साथ मुनि श्री की अगवानी की गई। जगह-जगह पद प्रक्षालन मंगल आरती कर भक्तों ने अगवानी की। इसके साथ ही घरों के बाहर सभी ने रंगोली भी बनाई।
1986 की स्मृति को महाराज श्री ने सांझा किया
महाराज श्री संघ ने नगर में स्थित तीनों जैन मंदिरों के दर्शन किए मुनि संघ ने सर्वप्रथम केसली के बड़े बाबा आदिनाथ भगवान के दर्शन किए एवं धर्म सभा को संबोधित किया उन्होंने सन 1986 की स्मृति को सांझा करते हुए कहा कि सन 1986 में केसली में आना हुआ था इस बार तो भगवान आदिनाथ ने स्वत ही बुला लिया।

महाराज श्री ने गुरु और शिष्य का वर्णन करते हुए बताया कि गुरु कुम्हार है और शिष्य कुंभ की तरह है जिस प्रकार कुम्हार घड़े को बनाते समय अंदर से सहारा देता है और बाहर से ठीक करता है इस प्रकार गुरु व सज्जन पुरुष जगत के कल्याण के लिए ही जन्म लेते हैं। अपने जीवन भर इस कार्य में लगे रहते हैं। स्व पर कल्याण करते हैं।


उन्होंने कहा कि श्रद्धा भक्ति पूजन आदि वह साधन भी साक्षात परमात्मा से मिला देते हैं और यदि नग्न दिगंबर रूप धारण करके साधना की जाए तो 24 तीर्थकरो जैसे सिद्ध को प्राप्त करके स्वयं भी भगवान बना जा सकता है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312


