जितना मिला है चाहे वह अल्प हो या ज्यादा सब छूटने वाला है,इसलिये उससे मोह त्यागने का भाव करो नियमसागर महाराज
विदिशा
संसार में पाप पुण्य का खेल चल रहा है यह जो बारिश हो रही है यह पुण्य के ही संयोग से ही हो रही है, बारिश का जल पुण्य है,वही जल वृष्टि ज्यादा हो जाये डेम लबालब भर जाता है,तो डेम के अधिकारी अतिरिक्त पानी को गेट खोल कर बाहर निकालते है,यदि न निकाले तो बड़ा भारी नुकसान हो सकता है गांव के गांव डूबते है उसी प्रकार पुण्य के प्रभाव से धन संपदा ऐश्वर्य की बारिश होती है जो कि पुण्य के प्रभाव से आती है, पुण्य के साथ साथ पाप का उदय भी आता है, जो कभी कभी आपको देखने को मिलता है,उस पाप की विभिषिका से बचने के लिये ही दसवे तीर्थंकर भगवान शीतलनाथ ने आपको दान रुपी धर्म उपदेश दिया।
उपरोक्त उदगार निर्यापक श्रमण नियमसागर जी महाराज ने शीतलधाम में प्रातःकालीन प्रवचन सभा में दिये। उन्होंने कहा कि जिसको हम बटोरते है वह साथ जाने वाला नही,यह तो हमारे ही पुण्य का प्रताप है,जो इकट्ठा हो रहा है और जो साथ जाने वाला है,उसके गेट आप लोगों ने बंद कर रखे है।
मुनि श्री ने कहा कि जितना मिला है चांहे वह अल्प हो या ज्यादा सब छूटने वाला है इसलिये उससे मोह त्यागने का भाव करो।

मुनि श्री ने कहा कि हमारी कलश की स्थापना तो उसी दिन हो गयी थी जिस दिन गुरूदेव ने इशारा किया और हम लगभग350 कि. मी चलकर भगवान शीतलनाथ की वह भूमी जहा पर वह गर्भ में आए बड़े हुये एवं राजतिलक हुआ प्रजा पालक बने और अपनी आत्मा का भी उद्धार किया। मेरी आत्मा में सम्यक् दर्शन सम्यकज्ञान,और सम्यक चारित्र रुपी कलश की स्थापना कर चुके है।

सामाजिक रुप से रविवार का यह कार्यक्रम है आप सभी लोगों को इस कलश स्थापना समारोह में भाग लैना चाहिये उपरोक्त जानकारी देते हुये प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया रविवार 4 अगस्त को मुनिसंघ की कलश स्थापना समाज द्वारा दोपहर 1:30 बजे शीतलधाम में संपन्न की जाएगी बाहर से पधारने वालो की रहवास एवं भोजन की समुचित व्यवस्था की गयी है।
संकलित जानकारी के साथ अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी की रिपोर्ट 9929747312

