आचार्यश्री वर्धमान सागर ससंघ सान्निध्य में केवलज्ञान और समवशरण सभा के हुए कार्यक्रम 
पारसोला।    
पंच कल्याणक समिति द्वारा सकल दिगम्बर जैन समाज के सहयोग से आयोजित श्रीमद पार्श्व नाथ जिनेन्द्र पंचकल्याणक महा महोत्सव के चौथे दिन केवल ज्ञान कल्याणकपर आयोजित धर्म सभा में
वात्सल्य वारिधि राष्ट्र गौरव आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने वर्धमान सभागार में कहा किआज पारसनाथ महामुनिराज तीन दिन के ध्यान , उपवास के बाद आहार ग्रहण करने के लिए नगर भ्रमण करेंगे तीर्थंकर भगवान को आहार की जरूरत नहीं होती किंतु साधु किस प्रकार आहार लेते हैं ,क्या मुनिराज की आहार विधि होती है यह बतलाने के लिए तीर्थंकर आहार के लिए निकलते हैं पार्श्वनाथ महामुनि राज ने योवन अवस्था में दीक्षित हुए ।भगवान को आहार देने का अवसर बहुत ही पुण्यशाली व्यक्ति को मिलता है भगवान को आहार देकर, मुनिराज का आहार देखकर श्रावक श्राविका के मन में यह भावना बनती है कि कब मेरा पुण्य उदय में आएगा और मैं भी करपात्री बनाकर आहार ग्रहण करूं ।पारसनाथ भगवान का जीव भी अनेक भवों में भ्रमण कर कभी मनुष्य ,कभी देव ,कभी तिर्यन बनकर ,राजा आनंद के पर्याय में थे उसके बाद राजा अश्व सेन के यहां उनका जन्म हुआ आत्मा का यह पुण्य फल है कि तीर्थंकर नाम कर्म प्रकृति का बंध होता है तीर्थंकर की सेवा देवता ,सोधर्म इंद्र ,कुबेर, किंकर बन कर करते हैं। देवता लोग भगवान केगर्भ में आने के 6 माह पूर्व से जन्म तक अर्थात 15 माह तक रत्नों की वृष्टि करते हैं ।देव परिवार गर्भ कल्याणक ,जन्म और तप कल्याण के क्रिया करते हैं तप कल्याणक में समवशरण की रचना करते हैं और मोक्ष कल्याणक में देव अग्नि सत्कार करते हैं।तीर्थंकर और मुनिराज को आहार देने की पात्रता देवता को नहीं होती, मुनिराज को आहार देने की पात्रता केवल श्रावक श्राविका मनुष्यो कों होती है ।श्रावक का प्रमुख कर्तव्य है देव पूजा ,आहार दान, इससे श्रावक पुण्य अर्जित कर जीवन की नीव मजबूत करते हैं।   
  
  
  
  
 
पारसनाथ भगवान के जीव ने अनेक पर्याय के बाद महामुनिराज बनकर तपस्या से कर्मों को नष्ट कर केवल ज्ञान प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त कर सिद्धालय में विराजित हो गए आज महामुनि पार्श्व नाथ को आहार दान श्रावकों को अनुशासित होकर संस्कारित होकर आहार देना चाहिए ।जिन दाता के घर आहार होगा वहां पर पांच आश्चर्य होंगे ।भगवान आदिनाथ ने इक्षु रस का आहार लिया था किंतु बाद के सभी 23 तीर्थंकरों ने सर्वप्रथम खीर अन्न का आहार लिया था सभी मनुष्यों को जीवन में प्राप्त अवसर का लाभ लेकर पुण्य अर्जित करना चाहिए आहार देकर ,आहार देखकर भी पुण्य का अर्जन होता है राजा श्रेयांश को पिछले जन्म में आहार देने का जाति स्मरण हुआ तब उन्हें भगवान आदिनाथ को आहार देने का अवसर मिला।इस जन्म के पुण्य अगले भव में काम आते हैं। दोपहर की धर्म समवशरण सभा में उपस्थित श्रोताओं के प्रश्नों का समाधान किया। आचार्य के प्रवचन के पूर्व मुनि श्री हितेंद्र सागर जी ने प्रवचन में बताया कि तीर्थंकर बालक किस प्रकार गर्भ में आते है,जन्म होता है,बड़े होने पर राज्याभिषेक के बाद दीक्षा लेकर तप कल्याणक के बाद ज्ञान कल्याणक मनाया जाकर कल मोक्ष कल्याणक मनाया जावेंगा। 
  
  
  आपने प्रवचन में बताया कि पंच कल्याणक से ज्ञान,शिक्षा,संस्कार प्रतिष्ठा,सम्मान, बुद्धि मिलती है शुद्ध भोजन से मन में विकार नही होकर बुद्धि का विकास होता है इसके लिए संत समागम,अल्प भाषी,अल्प निंद्रा,अल्प भोजन,क्षमा,विनय,स्नेह भावना से ज्ञान प्राप्त होता हे।दिगंबर दशा हुमड जैन समाज के अध्यक्ष जयंतीलाल कोठारी, उपाध्यक्ष सूरजमल कड़वावत ,कोषाध्यक्ष महावीर मेदावत तथा श्री पार्श्वनाथ समवशरण जिन बिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव समिति के अध्यक्ष बाबूलाल सरिया,संपत्ति लाल सेठ ,प्रकाश चंद पचौरी उपाध्यक्ष एवं ऋषभ कुमार पचौरी कोषाध्यक्ष ने बताया किश्रीमद जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा प्राण महामहोत्सव के चौथे दिन विमान शुद्धि कलश यात्रा निकाली गई। संहितासूरि पंडित हंसमुख जैन धरियावद द्वारा मंदिर वेदी वास्तु व हवन का आयोजन किया गया। वात्सल्य वारिधि आचार्यश्री वर्धमान सागर महाराज ससंघ के मौजूदगी में केवलज्ञान संस्कार क्रिया, अधिवासना, मुखोद्घाटन, नयनोन्मिलन, सूरीमंत्र, गुणारोपण, केवल ज्ञान पूजा, हवन, पद्दोद्घाटन, समवसरण दर्शन के पुण्यार्जक द्वारा कराए । भगवान श्री पार्श्व नाथ के पीछी और कमंडल का लाभ पन्नालाल भिंडर उदयपुर को प्राप्त हुआ व 46 दीप से आरती का सौभाग्यशाली परिवार द्वारा आरती की गई।, दिव्य ध्वनि का आयोजन किया गया। इस दौरान हजारों जैन समाज के लोगों ने श्री पार्श्व नाथ देव महामुनि एवं आचार्य वर्धमान सागर महाराज के जयकारों से पांडाल को गूंजा दिया।वात्सल्य वारिधि आचार्यश्री वर्धमान सागर महाराज ससंघ के सानिध्य । आचार्यश्री वर्धमान सागर महाराज के सान्निध्य में आचार्य श्री के चरण प्रक्षालन ऋषभ पचौरी परिवार पारसोला और जिनवाणी भेट चांदमल, मुकेश रजावत परिवार के पुण्यार्जक रहे ।महामुनि श्री पार्श्व नाथ भगवान के आहार का सौभाग्य इन्ही परिवार को मिला। आहार चर्या के समय आचार्य श्री वर्धमान सागर जी संघ सहित हजारों श्रद्धालुओं ने आहार देख कर अनुमोदना की। आहार के बाद पंचाश्चर्य भी हुएश्रीमद जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्राण प्रतिष्ठा महा महोत्सव के तहत प्रतिष्ठाचार्य संहितासूरि हंसमुख जैन के निर्देशन में प्रातः ध्यान व आशीर्वाद सभा, श्री जिनाभिषेक एवं नित्यार्जन का आयोजन किया गया। वर्धमान सभागार में वात्सल्य वारिधि आचार्य वर्धमान सागर महाराज ससंघ के मंचासीन होने के बाद आहार चर्या एवम् अन्य कार्यक्रम हुए।सांयकालीन आरती करने के सौभाग्यशाली परिवार के लोग वर्धमान सभागार पहुंचे जहां पर श्रीजी की महाआरती की गई। शास्त्र सभा के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए8 मार्च को प्रात होगा मोक्ष कल्याणक एवम तत संबंधी विभिन्न धार्मिक क्रियाकलशारोहण,,रथ यात्रा आदि कार्यक्रम होगे राजेश पंचोलिया इंदौर से प्राप्त जानकारी संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312
 आपने प्रवचन में बताया कि पंच कल्याणक से ज्ञान,शिक्षा,संस्कार प्रतिष्ठा,सम्मान, बुद्धि मिलती है शुद्ध भोजन से मन में विकार नही होकर बुद्धि का विकास होता है इसके लिए संत समागम,अल्प भाषी,अल्प निंद्रा,अल्प भोजन,क्षमा,विनय,स्नेह भावना से ज्ञान प्राप्त होता हे।दिगंबर दशा हुमड जैन समाज के अध्यक्ष जयंतीलाल कोठारी, उपाध्यक्ष सूरजमल कड़वावत ,कोषाध्यक्ष महावीर मेदावत तथा श्री पार्श्वनाथ समवशरण जिन बिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव समिति के अध्यक्ष बाबूलाल सरिया,संपत्ति लाल सेठ ,प्रकाश चंद पचौरी उपाध्यक्ष एवं ऋषभ कुमार पचौरी कोषाध्यक्ष ने बताया किश्रीमद जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा प्राण महामहोत्सव के चौथे दिन विमान शुद्धि कलश यात्रा निकाली गई। संहितासूरि पंडित हंसमुख जैन धरियावद द्वारा मंदिर वेदी वास्तु व हवन का आयोजन किया गया। वात्सल्य वारिधि आचार्यश्री वर्धमान सागर महाराज ससंघ के मौजूदगी में केवलज्ञान संस्कार क्रिया, अधिवासना, मुखोद्घाटन, नयनोन्मिलन, सूरीमंत्र, गुणारोपण, केवल ज्ञान पूजा, हवन, पद्दोद्घाटन, समवसरण दर्शन के पुण्यार्जक द्वारा कराए । भगवान श्री पार्श्व नाथ के पीछी और कमंडल का लाभ पन्नालाल भिंडर उदयपुर को प्राप्त हुआ व 46 दीप से आरती का सौभाग्यशाली परिवार द्वारा आरती की गई।, दिव्य ध्वनि का आयोजन किया गया। इस दौरान हजारों जैन समाज के लोगों ने श्री पार्श्व नाथ देव महामुनि एवं आचार्य वर्धमान सागर महाराज के जयकारों से पांडाल को गूंजा दिया।वात्सल्य वारिधि आचार्यश्री वर्धमान सागर महाराज ससंघ के सानिध्य । आचार्यश्री वर्धमान सागर महाराज के सान्निध्य में आचार्य श्री के चरण प्रक्षालन ऋषभ पचौरी परिवार पारसोला और जिनवाणी भेट चांदमल, मुकेश रजावत परिवार के पुण्यार्जक रहे ।महामुनि श्री पार्श्व नाथ भगवान के आहार का सौभाग्य इन्ही परिवार को मिला। आहार चर्या के समय आचार्य श्री वर्धमान सागर जी संघ सहित हजारों श्रद्धालुओं ने आहार देख कर अनुमोदना की। आहार के बाद पंचाश्चर्य भी हुएश्रीमद जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्राण प्रतिष्ठा महा महोत्सव के तहत प्रतिष्ठाचार्य संहितासूरि हंसमुख जैन के निर्देशन में प्रातः ध्यान व आशीर्वाद सभा, श्री जिनाभिषेक एवं नित्यार्जन का आयोजन किया गया। वर्धमान सभागार में वात्सल्य वारिधि आचार्य वर्धमान सागर महाराज ससंघ के मंचासीन होने के बाद आहार चर्या एवम् अन्य कार्यक्रम हुए।सांयकालीन आरती करने के सौभाग्यशाली परिवार के लोग वर्धमान सभागार पहुंचे जहां पर श्रीजी की महाआरती की गई। शास्त्र सभा के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए8 मार्च को प्रात होगा मोक्ष कल्याणक एवम तत संबंधी विभिन्न धार्मिक क्रियाकलशारोहण,,रथ यात्रा आदि कार्यक्रम होगे राजेश पंचोलिया इंदौर से प्राप्त जानकारी संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312
 
	

 
						 
						