गणिनी गुरु मां विशुद्ध मति माताजी संघ सहित गुरुवार 16 मार्च की बेला में करेंगी प्रारंभ सम्मेद शिखर तीर्थ पर्वत की वंदना
पारसनाथ
संयम साधना अपने आप में एक अभूतपूर्व होती है लेकिन अधिक आयु के बावजूद लक्ष्य की ओर बढ़ना सहज नही होता।
ऐसी है हमारी पावन गणिनी गुरु मां विशुद्ध मति माताजी जिन्होंने अपनी संयम साधना के द्वारा न जाने कितने श्रावक श्राविकाओ को मोक्षमार्ग की ओर अग्रसर किया। पावन गुरु मां इस धरा पर एकमात्र ऐसी आर्यिका है जिन्होंने सर्वाधिक दीक्षा दी है। पूज्य माता जी ने अपनी दीक्षा के 54 वर्षी पूर्ण कर लिए है। वही यह वर्ष गुरु मां गणिनी पद का 50 वा वर्ष है। यह वर्ष सचमुच स्वर्णिम वर्ष है।
16 मार्च का पावन दिन एक नया इतिहास बनाने जा रहा है एक और जहां प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान का जन्मोत्सव है वही पूज्य गुरु मांप्रात 04:00 बजे करेगा गुरुमाँ विशुद्ध विज्ञ ससंघ सहितपावन तीर्थ सम्मेद शिखर की वंदना को प्रारंभ करेंगी।माताजी का साहस इतनी अधिक उम्र में सचमुच सभी के लिए एक प्रेरणा देता है जिसकी सराहना पूज्य मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज द्वारा की गई है।
पूज्य माता जी के लक्ष्य को पूर्ण करने में पट्ट गणिनी प्रज्ञा पद्मिनी आर्यिका 105 विज्ञमति माताजी ने एवं समस्त संघ ने कुशलतापूर्वक पाया है। वह पावन तीर्थ सम्मेद शिखर जिसके पर्वत का एक एक कण कण पवित्र है तीर्थ की वंदना करने के लिए पूज्य माताजी एवं समस्त संघ ने लगभग 1300 किलोमीटर लंबी यात्रा मात्र 3 महीने में पूर्ण कीअपनी जन्मस्थली ग्वालियर से चलकर मधुबन, सम्मेद शिखर आई। वो घड़ी आ गई है, जब आदिनाथ जयंती की पावन सुप्रभात सुबह 4:00 बजे एक नया अध्याय लिख देगी जब गुरु मां की संघ सहित प्रारंभ होगी सम्मेद शिखर तीर्थ की वंदना।

सचमुच हमें गौरव का अनुभव होता है कि हम ऐसे गुरु मां के समय में हमने जन्म लिया है। अनुमोदना करते हैं कि पूज्य गुरु मां की वंदना संघ सहित निर्विघ्नं पूर्ण हो।
अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी

