अन्तर्मना उवाच* (08 जुलाई!)वक्त सबको मिलता है,*
*वक्त सबका आता है..*
*कोई का वक्त घन्टों, मिनटों में निकल जाता है,*
*और कोई का वक्त मिनटों, घन्टों में निकलता है..!*
*वक्त सबका आता है..*
*कोई का वक्त घन्टों, मिनटों में निकल जाता है,*
*और कोई का वक्त मिनटों, घन्टों में निकलता है..!*
आदमी की चाल दो बार बदलती है — *एक धन बढ़ता है तब – और दूसरा धन जाता है तब।* धन बढ़ता है तो सीना तान के चलता है और जब धन जाता है, कमर झुक जाती है। इन दोनों के बीच यदि धर्म आ जाये तो ना अकड़ आती है, ना कमर झुकती है। बल्कि व्यक्ति विनम्र और सरल हो जाता है।
*मन की सरलता, चित्त की निर्मलता और हृदय की पवित्रता से जीवन में परिवर्तन आता है।* अन्यथा जीवन का सारा सत्संग, पूजा, पाठ, दान, सेवा ऐसी है जैसे गोबर पर वर्क लगा हो।

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परमात्मा से प्रार्थना करना –*
*हे परमात्मा — जिन्दगी भले ही छोटी देना, मगर ऐसी जिन्दगी देना कि सदियों तक मैं लोगों के दिल में रहूँ और हमेशा अच्छे कर्म कर सकूँ…!!!*। नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद से प्राप्त जानकारी संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312

