मुनि श्री 108 सुप्रभ सागर महाराज सानिध्य में जैनत्व के उपनयन संस्कार विधि महोत्सव संपन्न

धर्म

मुनि श्री 108 सुप्रभ सागर महाराज सानिध्य में जैनत्व के उपनयन संस्कार विधि महोत्सव संपन्न
सिंगोली
पूज्य मुनि श्री 108 सुप्रभ सागर जी महाराज, एवम मुनिश्री 108 दर्शित सागर महाराज सानिध्य में समाज के बालको के उपनयन संस्कार विधि की गई। इस उपनयन विधि के द्वारा समाज के बच्चे जो कल चलकर धर्म का रथ खींचने वाले हैं उन्हें धर्म के संस्कार देकर जैन धर्म के संस्कार दिए गए ताकि वह धर्म से विमुख न होकर और विसंगतियो में ना पड़े इसको लेकर भारी संख्या में दूर दराज के बालक पहुंचे।

 

 

 

आयोजन की मंगल बेला में पूज्य मुनि श्री सुप्रभ सागर महाराज ने संस्कारों के महत्व को समझाते हुए कहा कि संस्कार के द्वारा ही आत्मा परमात्मा बन जाती है। इस पर विशेष व्याख्या करते हुए महाराज श्री ने कहा कि संस्कारों का बीजारोपण तो गर्भ से ही आरंभ हो जाता है। प्रत्येक समय किए जाने वाले संस्कार जीवन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। ऐसे सिद्ध भगवंतो की स्तुति करने से मानव जीवन के भी सारे लक्ष्य सिद्ध हो जाते हैं।

 

 

कार्यक्रम की अनुपम बेला में नवीन वेदी शिलान्यास समारोह भी हुआ। आयोजन की क्रम में पर आता है की बेला में मुनिसंघ सानिध्य में श्री जी का अभिषेक एवं मुनि श्री के ही मुखारविंद से शांति धारा का उच्चारण किया गया। मुख शांति धारा करने का पुण्य लाभ राकेश कुमार, राजेश कुमार, अरहम कुमार ठोला परिवार एवं यज्ञ नायक बनने का लाभ लादू लाल अशोक कुमार दिनेश कुमार विनोद कुमार परिवार को प्राप्त हुआ। समस्त उपनयन संस्कार की विधि एवं समस्त क्रियाएं विधि विधान के साथ कोल्हापुर से आए पंडित श्री के मुखारविंद से संपन्न हुई।

 

कैसे हुई उपनयन संस्कार की विधि

 

नवीन बालक जो अब बड़े होने लगे हैं उन्हें धर्म के संस्कार के लिए की आगे चलकर जैन धर्म के रथ को बलवती करें इसको लेकर उपनयन संस्कार विधि की जाती है जो विधि विधान से होती है जिसे कोल्हापुर से आए पंडित श्री ने संपन्न कराया सर्वप्रथम मौजूद सभी बच्चों के मस्तक पर मंत्र उच्चारण के साथ स्वास्तिक, जनेऊ, श्रीफल वह अन्य सामग्री रखकर उपनयन संस्कार के मंत्र दिए गए। मिली जानकारी अनुसार उपनयन विधि संस्कार में मेवाड़ प्रांत के दूर दराज के बच्चों ने भेंट कर पुण्य लाभ प्राप्त किया इसको लेकर बच्चों के माता-पिता में भी काफी उत्साह था और पूरा पंडाल बच्चों से ही दिखाई दे रहा था। जो सचमुच एक प्रेरणास्पद उदाहरण प्रस्तुत करता है। माता पिता भी यही चाहते हैं कि हमारे बच्चे धर्म से जुड़े और जैन धर्म की शिक्षाओं को जाने जो सचमुच एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करता है। सिंगोली जैन समाज द्वारा यह आयोजन करके जैन समाज के लिए एक अमिट योगदान दिया है। जब कोई भी मंत्र जय जयकार कराई जाती तो एक साथ बच्चों का जो स्वर देखने को मिल रहा था वह अभूतपूर्व था। बच्चों में भी इसको लेकर उत्साह था जो एक नई ऊर्जा का संचार करता है। उपनयन संस्कार के बाद बालकों को धार्मिक किट प्रदान किया गया।

धर्म सभा के उपरांत बैंड बाजा के साथ एक चल समारोह निकाला गया जो सिंगोली नगर के प्रमुख मार्गो से होता हुआ निर्ग्रंथ सभागृह विद्यासागर संत निलय आया। यज्ञ नायक परिवार द्वारा यज्ञ की क्रियाएं संपन्न की गई।

रविवार की बेला में धार्मिक वातावरण से परिपूर्ण रहा सिंगोली शहर

रविवार की बेला में पूरा नगर धर्म में था और आयोजनों का सिलसिला दिन भर चलता रहा वह चारों ओर भक्तों का बालकों का रेला नजर आ रहा था। दोपहर की बेला में नवीन मंदिर में बेदी पुण्यार्जक परिवार द्वारा वेदी शिलान्यास किया गया। मंगलाचरण रिकल ठोला ने किया। आयोजन में अभिषेक ठोला ने अपनी स्वर लहरियों से वातावरण को भक्तिमय बनाए रखा।

अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

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