अगर कर्म काटना है तो भगवान और गुरु की आराधना करो प्रज्ञा सागर महाराज
झालरापाटन
तपोभूमि प्रणेता आचार्य श्री 108 प्रज्ञा सागर महाराज ने बुधवार की बेला में अपने मंगल प्रवचन देते हुए कहा कि जो वस्तु हमसे दूर होती है, हम उसे पाना चाहते हैं, और जो वस्तु हमारे पास होती है हम उसका सुख नहीं भोग पाते है।
उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति में उपेक्षा सहन करने की क्षमता हो, और अपेक्षा से दूर रहने की हिम्मत हो वही मनुष्य है। सुख दुख एक कल्पना है। हम मान लेते हैं जिस चीज में दुख है और सुख है, हर समस्या का समाधान उसी समस्या के पास है। सारा खेल कर्मों का है।
अगर कर्म काटना है तो गुरुओं की और भगवान की आराधना करो। गुरु का ज्ञान बांटने से कुछ नहीं घटता है। बल्कि श्रावक का ज्ञान
बढ़ता है। जो ज्ञान मोह से ढका हुआ । है, उसे ज्ञान से कुछ भी प्राप्त नहीं होता। मोह को समाप्त करना बहुत कठिन है। किंतु समाप्त किया जा सकता है। अगर समाप्त कर दोगे तो भगवान बनोगे। और कम करोगे तो साधु बनोगे।
दोपहर की बेला में आचार्य श्री सानिध्य में शांतिनाथ मंडल विधान का आयोजन किया गया, यह महामंडल विधान सर्व जगत में शांति हरियाली पर्यावरण की अनुकूलता आनंदित धरती की कामना के लिए किया गया।
धर्म सभा का संचालन यशोवर्धन बाकलीवाल ने किया
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312