मदन मोहन ने जिंदगी और मौत के बीच भी धर्म को नहीं छोड़ा 40 घंटे भूखे प्यासे रहने के बाद रात में अन्य जल को ग्रहण नहीं किया
गिरनार पर्वत
जाको राखे साइयां मार सके ना कोई बाल न बांका कर सके जो जग बैरी होय जी हां इस कथन की सार्थकता गिरनार पर्वत पर सिद्ध हो गई। जब गिरनार पर्वत की वंदना करने हेतु भिंड जिले का एक समूह जिसमें लगभग 30 लोग सम्मिलित थे लेकिन लगभग 1:30 बजे के आसपास भिंड जिले के फूप निवासी लापता हो जाते हैं।
होता यह है कि मौजूद सभी 30 लोग लौट आते हैं लेकिन मदन मोहन कहीं नजर नहीं आते हैं और लौट कर नहीं आते हैं। बार-बार पर्वत पर तलाशा जाता है लेकिन मदन मोहन का पता नहीं लग पाता है।
भावनाथ पुलिस स्टेशन में 5 जुलाई 2023 के दिन मदन मोहन के परिवार के सदस्यों द्वारा उनके लापता होने की न मिलने की रिपोर्ट को दर्ज कराया जाता है। 6 तारीख तक उनका पता नहीं लग पाता है। तब एनडीआरएफ का दल और वन विभाग का दल अपना सर्च ऑपरेशन शुरू करते हैं।
7 तारीख की सुबह खोजे जाने के बाद वह मिल जाते हैं। धीरज जैन जो कि अहमदाबाद के हैं उनके द्वारा जानकारी सांझा होती है कि श्री मदन मोहन पारसनाथ भगवान की पूजा अर्चना जिन मंदिर में करते हैं। और उन्हीं का पुण्य प्रताप मानते हैं।
हम सभी भली-भांति जानते हैं कि गिरनार का जंगल इसे गिर के जंगलों के नाम से जाना जाता है जो अपने आप में भारतवर्ष की सबसे घने जंगलों में एक का जाता है श्री मदन मोहन लगभग 40 घंटों तक ऐसे भयावह जंगल में फंसे रहे। तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान की निर्वाण स्थली का ही अतिशय चमत्कार कहा जाएगा कि वह बाल बाल बच गए।
यह एक अलौकिक चमत्कार का जा सकता है कि 2000 फुट नीचे की खाई में गिर जाने के बाद वहां जंगली जानवर तेंदुए शेर चीते जैसे जानवरों के बीच 40 घंटों तक बचे रहे। अपने साहस संबल धर्म के प्रति उनकी आस्था कि उन्हें बचा कर लाई। रात्रि का समय होने पर श्री मदन मोहन से जब पानी पीने को कहा गया या उनसे कुछ खाने पीने के लिए कहा गया। तो उनका कहना था कि हम जैन हैं हम रात्रि में कुछ खाते पीते नहीं है। यह एक चमत्कार तो है ही लेकिन श्री मदन मोहन जैन ने विषम परिस्थितियों में भी धर्म के प्रति अपनी आस्था और अपने नियम के प्रति दृढ़ता को संकल्पित रखा जो सभी के लिए एक सीख देता है। हमें अपने नियम संकल्पों के प्रति दृढ़ रहना चाहिए।
संकलित जानकारी के साथ अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी