आचार्य श्री विमलसागर महाराज सूरी के सानिध्य में डॉ कल्याण गंगवाल की पुस्तक सुखी जीवन का आधार शाकाहार का विमोचन किया गया
बेंगलुरु
क्रांतिकारी और समाज को नई दिशा देने वाले श्वेतांबर जैन संत विमल सागर सूरी जी के सानिध्य मे बकरी ईद “ के दिन “ अहिंसा/ शाकाहार” का शंखनाद कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य आतिथी और प्रमुख वक्ता के रूप मे पुणा के अतरराष्ट्रीय शाकाहार प्रचारक डॉ कल्याण गंगवाल सम्मिलित रहे। कार्यक्रम में डॉक्टर गंगवाल की पुस्तक सुखी जीवन का आधार शाकाहार पुस्तक का विमोचन किया गया।
बेंगलुरु में बकरी ईद के दिन एक बहुत बड़ा आयोजन अहिंसा का शंखनाद आयोजित किया गया। यह आयोजन विमल सागर सूरी जो श्वेतांबर समाज के बहुत बड़े आचार्य है और प्रखर वक्ता है उनके सानिध्य में किया गया।इस आयोजन में शाकाहार अहिंसा में विश्वास रखने वाले सभी लोग एकत्रित हुए। डॉक्टर कल्याणमल गंगवाल की पुस्तक सुखी जीवन का आधार शाकाहार इसका पुनः लोकार्पण किया गया।
एक रोचक बात
सहयोग की बात 6 दिसंबर 2002 को बकरीद के दिन ही डॉक्टर गंगवाल की किताब शाकाहारी क्यों इसका विमोचन विज्ञान भवन में उस समय के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने किया था।
उस समय की कहानी बहुत रोचक रही यह किताब शाकाहार की किताब थी किताब का विमोचन न हो ऐसी कोशिश समुदाय विशेष के लोगो ने दिल्ली में की थी। उस दिन शुक्रवार था बाबरी मस्जिद विध्वंस के वर्षगांठ थी। और श्री कलाम उसी स्मायद्य के थे इसी लिए उन्होंने आपत्ति की थी।
मगर कलाम साहब ने उस किताब का विमोचन किया और उस दिन अपने भाषण में कहा कि यह किताब का विमोचन करने का अधिकार इसलिए मुझे है कि मैं कट्टर शाकाहारी हूं। मुझे लगता है बकरीद के दिन जो हिंसा है, उसे रोकने का तरीका है की ज्यादा से ज्यादा मांसाहारी लोगों को शाकाहारी बनाना है। और मुस्लिम समुदाय के अंदर शाकाहार का प्रचार प्रसार करना है। वह हो रहा है। सऊदी में दुबई में ऐसा हो रहा कही ऐसी मुस्लिम कम्युनिटी है जो बकरीद के दिन बकरी नहीं काटती नही काटती। और पुना में अजुमने इस्लामिक सोसायटी है वह बकरी नही काटती।
श्री गंगवाल ने बेंगलुरु आयोजित में अपने भाषण में कहा की हिंसा के विरोध में अहिंसा का अस्त्र शक्तिशाली बना देना। ताकि यह हिंसा अपने आप कम हो जाएगी।
पर्यावरण के दृष्टिकोण से यह हत्या है। उसको धार्मिक झालर न दे। पर्यावरण रक्षण के लिए यह रोकना जरूरी है। शरीर के दृष्टिकोण से मांसाहार शरीर के लिए घातक है कैंसर से बचने के लिए भी मांसाहार टालना जरूरी है। यह बातें समाज के सामने बड़ी मात्रा में रखी गई तो यह बहुत बड़ा काम होगा।
अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी