ऐतिहासिक घटयात्रा में उमड़ा सैलाब श्रीमद जिनेन्द्र पंचकल्याणक महोत्सव का शुभारंभः विभिन्न क्षेत्रों के जैन समाज के लोगों का उमड़ा सैलाब

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ऐतिहासिक घटयात्रा में उमड़ा सैलाब श्रीमद जिनेन्द्र पंचकल्याणक महोत्सव का शुभारंभः विभिन्न क्षेत्रों के जैन समाज के लोगों का उमड़ा सैलाब
उदयपुर।
श्री महावीर दिगंबर जैन जिनालय व सकल दिगम्बर जैन समाज की ओर से आयोजित श्रीमद जिनेन्द्र 1008 श्री ऋषभदेव पंचकल्याणक रजत मानस्तंभ प्रतिष्ठा महोत्सव के शुभारंभ पर ऐतिहासिक घटयात्रा निकाली गई। सर्व ऋतू विलास जिनालय रोड से रवाना हुई घटयात्रा में विभिन्न क्षेत्रों से जैन समाज के लोग उमड़े। घटयात्रा में जहां 108 महिलाओं ने कलश धारण कर यात्रा को ऐतिहासिक बनाया वहीं बैंड,हाथी-घोड़ा बग्धी व श्री जी के रथ के साथ निकली यात्रा के स्वागत में जगह-जगह पुष्पवर्षा की गई।

 

 

 

आचार्य शिरोमणि वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में शोभा यात्रा के राजकीय फतह स्कूल के पास वर्धमान सभागार पहुंचने पर महोत्सव का विधिवत ध्वजारोहण कर महोत्सव का शुभारंभ किया गया।

 

सर्व ऋतु विलास स्थित श्री महावीर दिगम्बर जैन मंदिर के श्रीमद जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के शुभारंभ के पहले दिन गर्भकल्याणक पर सुबह 6 बजे नांदी मंगल अनुष्ठान सौधर्म इंद्र सहित सभी इंद्र परिवार द्वारा की गई। बाद में श्रीजी को तीनों रथ में विराजमान कर सर्व ऋतु विलास से एक मई सोमवार को घटयात्रा रवाना हुई। यात्रा में केसरिया साड़ी पहनी महिलाओं ने 108 कलश धारण कर कार्यक्रम को उदयपुर के लिए यादगार बना दिया।

वहीं यात्रा में 1 हाथी व 2 घोड़ों के अलावा 35 से अधिक बग्गियों में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रमुख पात्र इन्द्रगण को शामिल होने का सौभाग्य मिला। 4 बैड की मधुर ध्वनियों के बीच निकली यात्रा का जगह-जगह विभिन्न समाज के लोगों ने पुष्पवर्षा कर अभिनंदन किया।

 

यात्रा सूरज पोल होते हुए राजकीय फतह स्कूल स्थित वर्धमान सभागार पहुंची। श्री शांतिलाल भोजन एवम् शांतिलाल वेलावत अध्यक्ष सकल जैन समाज ने बताया कि यात्रा के महोत्सव स्थल पहुंचने पर महोत्सव के पहले दिन प्रतिष्ठाचार्य संहितासूरि हंसमुख शास्त्री के निर्देशन में नांदी मंगल अनुष्ठान, व्रतदान विधि, भूमि शुद्धि, श्री जिन स्थापना की गई।
जयकारों के बीच ध्वजारोहण
आचार्य वर्धमान सागर महाराज ससंघ के सान्निध्य में श्रीमती निशा कमल ठोलिया परिवार द्वारा किया गया। मंडप पांडाल उद्घाटनकर्ता श्रीमती सोमेश्वरी देवी अशोक वोरा लोहारिया ने किया। मुख्य कार्यक्रम स्थल वर्धमान सभागार में आचार्यश्री संघ सहित जयकारों के बीच विराजमान हुए।

 

 

प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवती आचार्यश्री शांतिसागर के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्वलन आमंत्रित अतिथियो द्वारा किया गया। श्रीजी को वेदी में विराजमान करने के बाद श्रीमती दर्शना अमित बड़जात्या मुंबई द्वारा मंगल कलश स्थापित किया गया।

देव शास्त्र गुरुओं धार्मिक अनुष्ठान में वेशभूषा,खानपान,रहन सहन संयमित मर्यादित होने से पुण्य में वृद्धि होती है।

 

पंच कल्याणक महोत्सव से पुण्य की अभिवृद्धि होती हैआचार्य श्री वर्धमान सागर महाराज

धातु ,पाषाण की प्रतिमा में जिनत्व की स्थापना कर भगवान बनाने का कार्य गर्भ कल्याणक से प्रारंभ हुआ है ।आप लोगों ने प्रभु के माता-पिता , सौधर्म इंद्र,,चक्रवर्ती कुबेर तथा अन्य इंद्र बनकर चयन द्वाराअभिषेक,पूजन की पात्रता प्राप्त की है। भगवान श्री आदिनाथ से लेकर श्री महावीर स्वामी तक सभी तीर्थंकरों के समय गर्भ,जन्म कल्याणक से मोक्ष कल्याणक की क्रिया सोधर्म इंद्र किया करते थे ।पंचम काल में इंद्र नहीं आ सकते इसलिए आप मनुष्य लोग देवताओं की भांति पात्र बनकर पंचकल्याणक की क्रिया संपन्न कराते हैं। यह मंगल देशना आचार्य शिरोमणि वात्सल्य वारिघिआचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने धर्म सभा को संबोधित कर प्रकट की।

 

 

राजेश पंचोलिया के अनुसार आचार्य श्री ने बताया कि, वातानुकूलित पांडाल है किंतु प्रकृति ने कुछ दिनों से वातावरण को अनुकूल बनाकर वातानुकूलित कर दिया है। जब जब धार्मिक अनुष्ठान होते हैं तब प्रकृति वातावरण को अनुकूल बनाती है अनुकूल वातावरण में कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं। पंचकल्याणक कार्यक्रम से आप अपने जीवन का अवलोकन करें। जीवन में छोटे-छोटे नियम के माध्यम से बदलाव लाएं। लौकिक जीवन में कई प्रकार के आमोद प्रमोद के भौतिक मेले आपने देखे हैं, किंतु पंचकल्याणक धार्मिक अनुष्ठान है आपने जैन कुल में जन्म लिया है पंच कल्याणक के 5 दिनों में ही नहीं, जीवन में जैन संस्कृति सुरक्षित रहे आपका खान-पान शुद्ध तथा,रहन-सहन, पहनावा वेशभूषा मर्यादित होना चाहिए क्योंकि यहां भगवान विराजित हैं। देव शास्त्र गुरु के समक्ष पंचकल्याणक प्रतिष्ठा होगी इसलिए भगवान गुरु की मान मर्यादा संस्कृति की गरिमा का ध्यान रखना जरूरी है। पंचकल्याणक महोत्सव पुण्य बढ़ाने का महोत्सव है इससे आप पुण्य की अभिवृद्धि करें पुण्य अर्जन का सौभाग्य प्राप्त करें तभी मनुष्य जीवन सार्थक होगा।
आचार्य श्री के प्रवचन के पूर्व राजेश शाह, शांतिलाल वेलावत , विनोद फंदोत , हसमुख जी शास्त्री ,पारस सिंघवी उप महापौर
शान्ति लाल भोजन,शांतिलाल वेलावत ने विचार रख कर आचार्य श्री का गुणानुवाद किया।कार्यक्रम का संचालन प्रकाश सिंघवी ने किया
महोत्सव के पहले दिन सोमवार को आचार्यश्री के सानिध्य में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम हुए। प्रतिष्ठाचार्य संहितासूरि हंसमुख जैन के निर्देशन में महावीर दिगम्बर जैन मंदिर में भगवान के माता-पिता, सौधर्म चक्रवती, कुबेर तथा अन्य इन्द्र-इन्द्राणियां द्वारा सकलीकरण, इंद्र प्रतिष्ठा, मंडप प्रतिष्ठा, अंकुरारोपण, जाप्यारंभ, श्री जिनाभिषेक, याग मंडल पूजा की गई। सीमंतन संस्कार माता की गोद भराई उत्सव प्रथम दिन किया पुण्यार्जक परिवार द्वारा निवास स्थान से जुलूस सहितपरिवार के लोग वर्धमान सभागार पहुंचे जहां पर श्रीजी की महाआरती की गई।
रात्रि में इंद्र सभा का आयोजन किया गया।
अंत में गर्भ कल्याणक नाटकीय उत्सव के तहत सोलह सपने प्रोजेक्टर के माध्यम से दिखाए गए।

 

वात्सल्य वारिघि चित्र प्रदर्शनी का प्रारंभ
आचार्य शिरोमणि वात्सल्य वारिघि पंचम पट्टाघीश आचार्य श्री वर्धमान सागर जी के 73 वर्षीय लौकिक एवम् आध्यात्मिक 54 वर्ष के संयम एवम् 33 वर्ष के आचार्य पद के दौरान की महत्वपूर्ण घटनाओं की फिल्म एवम् चित्रों की प्रदर्शनी का उद्घाटन शांतिलाल वेलावत ,कमल ठोलिया चिन्नई शांतिलाल भोजन , हसमुख जी पंडित जी एवम् पंच कल्याणक समिति के पदाधिकारियों ने किया।

 

राजेश शाह प्रकाश सिंघवी अनुसार 2 मई को ये कार्यक्रम होंगे।
श्रीमद् जिनेंद्र पंचकल्याणक प्राण प्रतिष्ठा महामहोत्सव के दूसरे दिन तहत वात्सल्य वारिधि आचार्य वर्धमान सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में मंगलवार 2 मई को विभिन्न कार्यक्रम होगे जन्मकल्याणक के तहत सुबह 5.30 बजे ध्यान व आशीर्वाद सभा, प्रातः 6.30 श्री जिनाभिषेक एवं सुबह 8.30 बजे प्रवचन सभा और सुमेरू पर्वत हेतु जुलूस का प्रस्थान 1008 कलशो से जन्माभिषेक नामकरण संस्कार किए जावेगे। दोपहर को जन्म कल्याणक पूजन सांय 6.30 बजे आरती, 7 बजे शास्त्र सभा और रात्रि में पालना समारोह तथा सांस्कृतिक संध्या का आयोजन होगा।
राजेश पंचोलिया इंदौर वात्सल्य भक्त परिवार से प्राप्त जानकारी के साथ अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

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