मुनि पुंगव सुधा सागर महाराज ने जिनेंद्र भगवान के अभिषेक एवं शांति धारा का महत्व बताया जिन मंदिर को सकारात्मक ऊर्जा का बड़ा स्त्रोत बताया
पृथ्वीपुर
पूज्य मुनि श्री सुधा सागर महाराज के सानिध्य में गजरत चलाने वाले 3 परिवारों को सिंघई की उपाधि से सुशोभित किया गया।
मांगलिक पलों में पूज्यश्री ने अपने उद्बोधन में सभी पुरुष वर्ग को जिनेंद्र भगवान के अभिषेक विधि एवं शांति धारा का महत्व बताया। इस पर उन्होंने कहा कि कौन वह 5 लोग हैं जो अभिषेक नहीं कर सकते है। प्रथम तिर्यंच अर्थात जानवर, द्वितीय जिसने जैन कुल में जन्म नहीं लिया, तृतीय जिसने स्त्री पर्याय में जन्म लिया हो। चतुर्थ जिसको समाज द्वारा बहिष्कृत किया गया हो। पंचम वह है जो जिसे चर्म रोग हो या कुष्ठ रोग हो। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अगर आप इन लोगों में नहीं है यदि आप प्रभु का अभिषेक नहीं करते हैं तो यही जिन प्रतिमाएं नकारात्मक ऊर्जा देने लगती है।

जिनालय को सकारात्मक ऊर्जा का बड़ा स्रोत बताते हुए कहा कि यही भगवान की प्रतिमाएं हमारे भीतर विपरीत प्रभाव देती हैं। इसका कारण बताते हुए कहा कि भगवान तो पहले ही मोक्ष चले गए। परंतु यह भक्तों के भगवान हमारे खातिर सिद्धालय से इस धरा पर आए। गंदो द किसे लेना चाहिए इसकी विशेष व्याख्या करते हुए कहा कि जो अपने हाथ का अथवा अपने हाथों का हो।

इसीलिए महिलाओं को हमेशा अपने पति से और अपने माता-पिता अपने स्वामी या बेटे थे गंदो देख लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह हाथ परिग्रह से मलीन होते है। और दान के द्वारा ही शुद्ध होते हैं।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

