सर्वोदय तीर्थ अमरकंटक में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के सानिध्य में ध्वजारोहण के साथ पंचकल्याणक महोत्सव का हुआ शुभारंभ ध्वजारोहण श्रीमान अशोक सुशीला पाटनी आर के मार्बल परिवार के द्वारा हुआ
अमरकंटक
पावन पुनीत नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक में सर्वोदय तीर्थ में विश्व वंदनीय आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज सानिध्य में भव्य पंचकल्याणक महोत्सव का शुभारंभ हो गया।
आयोजन का शुभारंभ घटयात्रा वह ध्वजारोहण के साथ हुआ ध्वज का आरोहण भामाशाह श्रीमान अशोक सुशीला पाटनी आर के मार्बल किशनगढ़ के द्वारा किया गया जब यह आरोहण किया गया तब ध्वजा ने पूरब की ओर अपना संकेत दिखाया। जब यह ध्वजारोहण हुआ तब मौजूद भक्तों ने हर्षित होकर वे तालियों के साथ उत्साह को प्रदर्शित किया।
इससे पूर्व नगर में महिलाओं ने मस्तक पर मंगल कलश धारण कर नगर में घट यात्रा निकाली। इस यात्रा में मुख्य पात्र आकर्षण का केंद्र बिंदु थे। यह भव्य पंचकल्याणक महोत्सव तीर्थ परिसर के मेला ग्राउंड में आहूत हो रहा है। इस अवसर पर पूज्य मुनि श्री चंद्रप्रभ सागर महाराज एवं निरामय सागर महाराज ने अपने उद्बोधन में प्रेरक बातों को ध्यानपूर्वक बताया और उन्हें जीवन में आत्मसात करने का निर्णय लेने की सीख दी।
सूर्य और संत समान होते हैं प्रसाद सागर महाराज
इन मांगलिक पलों में पूज्य मुनि श्री प्रसाद सागर महाराज ने बताया कि सूर्य और संत समान होते हैं। इस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि दोनों का एक ही देश है जगत को प्रकाशमान करना। एक लोकोक्ति के माध्यम से कहा कि किस-किस को रवि देखता पूछे जग के लोग, जब जब देखूं देखता रवि तो मेरी और। पूज्य मुनि श्री ने विशेष व्याख्या करते हुए कहा कि रवि की आंखें सबको और सब कुछ देख लेती है। संत का जीवन भी बहुत व्यापक होता है वह पर्व के लिए जीता है। ध्वजा के विषय में कहा कि जिनालय की ध्वजा अनंत काल तक दिशा बोध कराती रहेगी। पंचकल्याणक महोत्सव के विषय में भी पूज्य मुनि श्री ने प्रकाश डाला और कहा कि पंचकल्याणक महोत्सव पहचान से भगवान बनाने का अनुष्ठान है। आपने कहा कि खाली दिमाग शैतान का, बड़ा दिमाग भगवान का, अच्छा खानदान उसी का होता है इसका खान-पान अच्छा होता है।
यात्री के विषय में बोलते हुए कहा कि प्रत्येक यात्री की कोई ना कोई मंजिल होती है, आपकी मंजिल कौन सी है, कहां जाना है। मंजिल ज्ञात नहीं और यात्रा कर रहे हो, यह कैसी यात्रा है, और आप कैसे यात्री हो। चेतन भव्य आत्माएं संसार में आई और अपनी यात्रा पूरी कर मोक्ष पा लिया। उन्होंने कहा कि सूर्य के सामने बाधाएं आती है पर वह उनको पार कर लेता है। संत की यात्रा में भी उसी प्रकार अवरोध आते हैं मगर सच्चे संत के अवरोध सत्य दूर हो जाते हैं।
भक्त ही भगवान बनता है चंद्रप्रभ सागर महाराज
इस अवसर पर अपने मांगलिक उद्बोधन में पूज्य मुनि श्री चंद्रप्रभ सागर महाराज ने कहा कि भक्त की भगवान बनता है। भक्तों की भक्ति एक दिन भगवान का पूज्य बना देती है। आज की ध्वजा ऊपर उठते ही पूर्व दिशा का संकेत करने लगी। जो यह बताती है कि निश्चित ही यह पंचकल्याणक अभूतपूर्व होगा। एक विशेष बात कहते हुए कहा कि जंगल में भट्ट का रास्ता तलाश ता है, संसार में भटक रहे हैं। रास्ता मिल नहीं रहा। उन्होंने कहा कि रास्ता सामने है भटकने की आवश्यकता नहीं। 18 में भक्ति रख लो। दूसरे हाथ में मुक्ति आ जाएगी।
पंचकल्याणक महोत्सव की प्रतिष्ठाचार्य ब्रह्मचारी विनय भैया ने अमरकंटक की पवित्रता का उल्लेख करते हुए बताया कि अमरकंटक का तो कांटा भी अमर है। यहां प्रतिदिन देवों द्वारा जलवृष्टि कर शुद्धि कर दी जाती है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी