लक्ष्य प्रेरणा और इच्छा मात्र से नहीं मिलता वह तो काफी तैयारियो का सिलसिला है”सुप्रभसाग़र जी
विदिशा
कामयाबी एक रात में मिलती नहीं वह तो लंबे अरसे का सिलसिला है, लक्ष्य प्रेरणा और इच्छा मात्र से नहीं मिलता वह तो काफी तैयारियो का सिलसिला सल है” जीवन है तो जीवन में बहुत सारी समस्याएं भी है, आप उन समस्याओं का हिस्सा भी बन सकते है या फिर उन समस्याओं का समाधान कर उन समस्याओं से निकल भी सकते है, निर्णय आपको करना है। उपरोक्त उदगार मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने इंद्रप्रस्थ कालोनी में छात्र छात्राओं को सम्बोधित करते हुये कहे।
प्रवक्ताअविनाश जैन ने बताया 20 अक्टूबर गुरुवार को दौपहर 2 बजे से महिलाओं को विशेष मार्गदर्शन देंगे।
                
-महिला सशक्तीकरण, महिलाए आत्मनिर्भर कैसे बनें? जाब करे या न करें? महिलाऐ बाल प्रवंधन और परिवार प्रबधन कैसे करें, महिलाऐं सामाजिक, राजनैतिक आर्थिक और स्वास्थय के क्षेत्र में योगदान कैसे बढ़ाए आदि विषयों पर मुनि श्री का विशेष मार्गदर्शन मिलेगा।
श्री सकल दि. जैन समाज ने सभी महिलामंडलों को आमंत्रित किया है। मुनि श्री ने कहा कि उलझनें किसके जीवन में नहीं होती लेकिन उन उलझनों में उलझा नहीं जाता बल्कि बुद्धी और विवेक से उसे सुलझाया जाता है। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुये लकहा कि जैसे ही छात्र 10 क्लास पास करता है तो वह केरियर में उलझ जाता है, मां कुछ कहती, मित्र कुछ कहते, और पिता कुछ कहते, सलाह की उलझनों में डिसीजन नहीं ले पाता और उलझ जाता है। मुनि श्री ने कहा कि मैं सलाह लेंने की मना नहीं कर रहा सलाह सभी की लो लेकिन निर्णय खुद का रखो। जिसके पास डिसीजन पांवर होती है वही अपने लक्ष्य में कामयाब होता है।कभी कभी सही डिसीजन नहीं होंने से वह युवा तनाव चक्र में उलझ कर डिप्रेशन में आ जाता है। आत्म हत्या जैसी घटनाऐं इसी कारण होती है।मुनि श्री ने कहा कि “जीत की मानसिकता और जीतने की तैयारी” दौनों में बहुत फर्क है जो छात्र जीत की मानसिकता की ओर ध्यान रखते है वह अक्सर कामयाब नहीं होंने पर टुटते है, इसलिये जीत की मानसिकता नहीं बल्कि जीत की तैयारी की ओर ध्यान दैने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक छात्र के अंदर खूबी है, उस खूबीउस योग्यता को समझने की और उस पर चलने की आवश्यकता है, जो अपनी खूबियो पर ध्यान रख आगे बढ़ता है वह अवश्य कामयाब होता है, अपने जीवन का लक्ष्य बनाइये। और उसकी प्रेक्टिस और प्लानिंग प्रजेंटेशन पर ध्यान दैना चाहिये। मुनि श्री ने कहा कि जितना अच्छा आपका प्रजेन्टेशन होगा उतना अच्छा आपका केरियर होगा, आप अपनी लाईफ स्टाईल को बदलिये, आजकल असमय में जो शारिरिक रोग और मानसिक बीमरियां हो रही है वह गलत खानपीन और गलत दिशाओं में ले जाने वाली है। मित्र मंडली के कारण हो रही है। जंक और फास्ट फूट फास्ट फूड के कारण खान पान सही नहीं होंने से शारिरिक तथा मानसिक व्याधियों के शिकार हो रहे है। मुनि श्री ने कहा कि आप लोग केरियर ओरीयेन्टेड न बनें बल्कि अपनी सोच और अपनी बुद्धी के वेरियर ओरीयेन्टेड बनें।अपने आपको भगवान भरोसे भाग्यवादी नहीं बल्कि भाग्यशाली बनाऐ, जो मेंहनत करता है, पुरुषार्थ करता है,और आशावादी होता है वह निश्चित ही अपने जीवन में सफलता प्राप्त करता है। उन्होंने कहा कि डिप्रेशन और मानसिक तनाव का कारण मित्रों की संगती भी है, ऐसी संगत और मित्र मंडली से बचना चाहिये। मुनि श्री ने कहा कि भाग्यवादी मत बनो विश्वास करो। मुनि श्री ने मेडीटेशन की बात करते हुये कहा कि डिप्रेशन से बचने के लिये योग भी करना चाहिये। जिससे मन और मानसिक को भी स्वस्थ रख सकें।मुनि श्री ने कहा कि पढ़ाई करते समय मोबाईल आदि को बंद रखकर ही पढ़ाई करना चाहिये। मुनि श्री ने कहा कि युवावस्था ऐसी अवस्था होती है कि आपका पढ़ाई में मन भटकता है, मेहनत की,पढ़ाई की, लेकिन उतने नंबर नहीं मिले इसका मतलब है कि आपने सही दिशा में सही समय पर न
मेंहनत नहीं की। छात्र जीवन में चुनौतियों को स्वीकार करो। प्रातःकाल चार बजे उठकर सबसे पहले दस मिनट मेडीटेशन अर्थात योग कीजिये। मुनि श्री ने कहा कि चार से छै बजे तक आप टाईम मेंनेजमेंट और अपने इमोशन को मेंनेज करके पढ़ाई करोगे तो आपकी मेंहनत सफल हो जाऐगी। अपनी पढाई के समय मोबाईल से दूर रहोगे तो आपका समय नष्ट नहीं होगा।मुनि श्री ने कहा कि जब तक आप अपने ईमोशन को सम्हालो और तस्वीर देखना बद करो अगर तस्वीर देखते रहोगे तो आपकी आने वाली तकदीर खराब हो जाऐगी। मुनि श्री ने कहा कि युवावस्था में एडिक्सन और व्यसनों से दूर होंने की आवश्यकता है, एडिक्सन अर्थात अनावश्यक कार्य करना कुछ नहीं मोबाईल गेम या फिर अनावश्यक सोच में उलझना। शराब सिगरेट और अन्य व्यसनों की ओर उक्साने वाले बहुत मिलेंगे चलो यार क्या हमेशा पढ़ाई में लगे रहते हो चलो थोड़ा माईन्ड फ्रैश करते है ऐसे मित्र खुद तो कन्फ्यूज है,उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता वह खुद भटके हुये है। और आपको भी भटकाव के रास्ते पर ले जाते है। उनसे बचे तो फिर अपना टाईम पास करने अपनी कापियो के पिछले पेज पर चित्र वेलवूटा या फालतू की लकीरें बना रहे है, या आपस में बातें कर रहे है। मन नहीं लगा तो पन्ने पलट रहे है,तो समझना आप एडीक्सन का शिकार हो रहे है,ऐसी स्थिति में निराश होंने की आवश्यकता नहीं है अपने आपको बदलने की आवशकता है। जो छात्र एवं छात्राऐं अपने छात्र जीवन में तीन “ई” का ध्यान रखना चाहिये ईगो, एक्पेटेशन इमोशन और का ध्यान रखना चाहिये। यदि आपका ईगो जाग्रत हुआ तो आप सामने बाले से एक्पेटेशन करेंगे और अपने ईमोशन को खराब करेंगे। मुनि श्री ने कहा कि आपके खानपान आपके वस्त्रों का अपने अंदर की वासनाओं की ओर विराम लगाऐंगे तो आप सफलता की ओर जाऐंगे।उन्होंने कहा कि अपनी सोच को पाजेटीव बनाऐं, दृव्य क्षेत्र और काल का प्रभाव पड़ता ही पड़ता है। अपनी लाईफ स्टाईल बदलो और निराशावादी के स्थान पर आशावादी बनो बन जाओ चींटी बार बार चढ़ती और उतरती है। मुनि श्री ने कहा कि मेंहनत करो लेकिन पेसन्स से उसे समझने की आवश्यकता है। अपने फोकस को बार बार बदलने की आवश्यकता नहीं है। लां आंफ अटरेक्सन की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।।लयदि आज अपने समय का ध्यान दोगे तो आप आने वाले समय को बदल सकते हो।
(अविनाश जैन) विदिशा से प्राप्त जानकारी
संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमडी


 
	 
						 
						