जिनालय ऊपर ध्वजा के लहराने से सुख समृद्धि और शांति होती है भगवान की भक्ति से सातिशय पुण्य की प्राप्ति होती है आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज

धर्म

जिनालय ऊपर ध्वजा के लहराने से सुख समृद्धि और शांति होती है भगवान की भक्ति से सातिशय पुण्य की प्राप्ति होती है
आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज
उदयपुर
प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवति आचार्य श्री शांति सागर जी की मूल बाल ब्रह्मचारी पट्ट परंपरा के पंचम पट्टाधीश आचार्य शिरोमणि वात्सल्य वारिघि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी संघ सहित केशव नगर उदयपुर में विराजित रहकर धर्म प्रभावना कर रहे हैं।

 

 

श्री आदिनाथ जिनालय में शिखर पर ध्वजा परिवर्तन आपके संघ सानिध्य में हुआ। इस अवसर पर आयोजित धर्म सभा को संबोधित कर आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने बताया कि ध्वजा अखंड होना चाहिए अर्थात फटी ,पुरानी ,छिद्र कारण नही होना चाहिए।हवा के साथ लहराती ध्वजा समाज,नगर देश के लिए मंगल कारी होती है,इससे सुख,शांति एवम् समृद्धि होती है। प्रो देवेंद्र,शांतिलाल कासलीवाल राजेश पंचोलिया ने बताया कि आचार्य श्री ने प्रवचन में आगे बताया कि आपके घरों और मंदिर की नियमित साफ-सफाई होना चाहिए कितने मंदिरों में छतों में सीढ़ियों के आसपास कचरा और जाले लगे होते हैं इसमें अनेक जीवो का घात होता है। जिनालय के दर्शन से आत्म कल्याण होता है ।

जिनालय में देव शास्त्र गुरु के दर्शन से सम्यक दर्शन की प्राप्ति होती है।जिनेंद्र भगवान के दर्शन कैसे करना चाहिए इस पर आचार्य श्री ने बताया कि आप को भगवान के दर्शन कर भगवान को निहारना चाहिए कि वह किस प्रकार परमात्मा बने हैं भगवान की प्रतिमा देखकर यह विचार करना चाहिए कि मैं भी आपके जैसा कैसे भगवान कब बनूंगा। जिस प्रकार घर चलाने के लिए आप धन कमाते हैं ,उसी प्रकार धर्म का पालन करके आप पुण्य कमा सकते हैं और धर्म की प्राप्ति आपको जिनालय देव शास्त्र गुरु से होगी आचार्य श्री ने बताया कि भगवान की अटूट श्रद्धा भक्ति से पुण्य की प्राप्ति होती है।

 

 

इसके पूर्व संघस्थ शिष्य मुनि श्री हितेंद्र सागर जी ने प्रवचन में बताया कि जिस प्रकार आप शरीर पर फटा हुआ कपड़ा नहीं पहनते हैं उसे तत्काल बदल लेते हैं उसके लिए आप किसी नियत तिथि जन्म तिथि का इंतजार नहीं करते हैं ,ठीक उसी प्रकार आपको भी मंदिर में शिखर पर जो ध्वजा लगी है वह यदि फट जाती है, गल जाती है ,सड जाती है ,खराब हो जाती है तो उसके लिए वर्ष की नियत तिथि का इंतजार नहीं कर, पताका ध्वजा को तत्काल बदलना चाहिए। इसी प्रकार अभिषेक के बारे में भी मुनि श्री ने बताया कि भगवान के अभिषेक के लिए धोती और दुपट्टे भी कटे-फटे छिद्र वाले नहीं होना चाहिए ।अगर आप इन कपड़ों से अभिषेक करते हैं तो पुण्य नहीं मिलेगा उल्टा पाप का मिलेगा अभिषेक की पात्रता सोधर्म इंद्र को होती है आप प्रमाद के कारण भगवान का अभिषेक नहीं करते हैं आपको अभिषेक अवश्य करना चाहिए ।मुनि श्री ने बताया कि जो आगम अनुसार पूर्व आचार्यों ने लिखा है उस अनुसार जो श्रावक चलते हैं वह परम पद को प्राप्त होते हैं जो पूर्व आचार्यों के कहे अनुसार नहीं चलते वह अधोगति को प्राप्त करते हैं। अभिषेक करने से पुण्य की प्राप्ति होती है मुनि श्री ने बहुत ही द्रवित होकर बताया कि पानी की एक बूंद में जैन शास्त्र अनुसार असंख्यात जीव होते हैं ,वैज्ञानिक दृष्टिकोण से एक बूंद में 36000 से अधिक जीव होते हैं 1ml में 16 बूंद होती है 1 लीटर पानी में 16000 बूंदे होती है अर्थात 1 लीटर अनछने पानी में 58 करोड़ 32 लाख से भी अधिक जीव होते हैं। इसलिए पानी छान कर पीना चाहिए।

 

 

यह जानकारी देते हुए दशा नरसिंहपुरा चैरिटेबल ट्रस्ट केशव नगर आदिनाथ दिगंबर मंदिर के अध्यक्ष धनपाल जेतावत एवं आयड मंदिर चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष खूबी लाल चित्तौड़ा ने संयुक्त रूप से बताया कि आज आचार्य शांति सागर जी महाराज के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्वलन एवम शास्त्र दान कालू लाल चितोड़ा ,सुरेश वेलावत, मदललाल हाथी , परिवार द्वारा संपन्न किया गया ।
यह जानकारी देते हुए ट्रस्ट के मंत्री कुंथु कुमार गणपतोत ने बताया कि 16 तारीख रविवार को आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर केशव नगर के शिखर पर ध्वजा परिवर्तन आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज के सानिध्य में अशोक , प्रतीक, श्रेया डागरिया परिवार द्वारा की गई ।

संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

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