आज पंचमकाल में बुरे ही तो अच्छे बनाने के लिए उचित माध्यम है अपनी दृष्टि ओर दृष्टिकोण को बदलना होगा आर्यिका विज्ञाश्री

धर्म

परम पूज्य भारत गौरव आर्यिकारत्न 105 विज्ञाश्री माताजी ससंघ का श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर नैनवां में बढ़ा रही है धर्म की प्रभावना

आज पंचमकाल में बुरे ही तो अच्छे बनाने के लिए उचित माध्यम है अपनी दृष्टि ओर दृष्टिकोण को बदलना होगा आर्यिका विज्ञाश्री

 

जयपुर/

परम पूज्य भारत गौरव गणिनी गुरु मां विज्ञाश्री माताजी ससंघ का श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर नैनवा समाज को मिल रहा है भव्य सानिध्य ,जैन समाज के मीडिया प्रवक्ता राजाबाबू गोधा ने अवगत कराया कि कार्यक्रम में आज आदिनाथ जिनालय में प्रात: जिनाभिषेक, शांति धारा के पश्चात सभी जिनालयों के दर्शन हेतु आर्यिका श्री ने समाज के साथ जिनालयों में जाकर दर्शन किए। उसके पश्चात बड़े मंदिर जी में अपने मंगलमय में प्रवचन देते हुए श्रृद्धालुओं को कहा कि एक बार लुकमान हकीम से किसी ने पूछा कि आपमे तमीज कहां से आयी‌ उन्होंने कहा मैंने तमीज बत्तमीजो से सीखी है, आचार्य पूज्य पाद स्वामी इष्टोपदेश मैं कहते हैं कि जिसके पास जो होता है वही देता है तो आप इतने
विद्वान होकर भी विपरीत बातें कर रहे हो तो लुकमान हकीम ने कहा जब बुरे लोग बुरे काम कर रहे थे तब मैंने परिणाम यह निकाला कि मुझमें तमीज आ गई | इनके छोटे से उत्तर में कितनी गहराई छुपी है | आज पंचमकाल में बुरे ही तो अच्छे बनाने के लिए उचित माध्यम है,, अपनी दृष्टि और दृष्टिकोण को बदलना होगा |आप मंदिर क्यों आते हो ? गुरु के दर्शन क्यों करते हो? उनके जैसे गुणों की प्राप्ति के लिए।मुझे भी इन भावों को लेकर दर्शन करना चाहिए जैसे गाय को खूंटा से बांध देने पर वह कहीं जाती नही , वैसे ही अपने मन ,वचन और काय को देव ,शास्त्र, गुरु रूपी खूंटे से बांध दो तो मन कहीं भटकेगा नही | गुरु मां ने कहा – “नजर तेरी बदली नजारे बदल गये-किश्ती ने बदला रुख तो किनारे बदल गये।”

*राजाबाबू गोधा जैन महासभा मीडिया प्रवक्ता राजस्थान*

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