भावनायोग” अंतस की शुद्धि का विज्ञान है- मुनि श्री प्रमाण सागर

धर्म

“भावनायोग” अंतस की शुद्धि का विज्ञान है- मुनि श्री प्रमाण सागर

भोपाल (अवधपुरी) 

भावना अर्थात हमारे मन में उठने वाले सूक्ष्मस्पंदन,हमारे चित्त की वृतियाँ,हमारे राग- द्वैष, हर्ष- विषाद रूपी भावनाए ही हमारे जीवन की दिशा और दशा को तय करती है,जब भावनायें अशुद्ध होती है,तो क्रोध,मान,माया,लोभ,ईर्ष्या,और द्वैष से कलुषित होती है तो जीवन एक अंतहीन कष्ट का चक्र बन जाता है मन अशांत रहता है, संबंध बिगड़ते है और आत्मा कर्मो के बोझ तले दबती चली जाती है,इसके विपरीत जब यही भावनायें शुद्ध होती है तो मैत्री,करुणा, मुदिता उपेक्षा, क्षमा मार्दव,आर्जव से सिंचित होती है तो हमारा जीवन मंगलमय उत्सव बन जाता है।

 

 

 

 मन में शांति और समता का वास होता है,और आत्मा अपने सहज स्वरुप की ओर अग्रसर होती है। उपरोक्त जानकारी देते हुये प्रवक्ता अविनाश जैन विद्यावाणी ने बताया मुनि श्री के “भावनायोग” पर प्रवचन प्रतिदिन8:30 बजे से9:30 तक हो रहे है एवं दौपहर 3ः30 बजे से “मूलाचार” की वाचना एवं सांयकाल 6:20 से शंकासमाधान का कार्यक्रम सम्पन्न हो रहा है। विद्या प्रमाण गुरुकुलम् एवं आचार्य श्री विद्यासागर प्रवंध संस्थान तथा धर्म प्रभावना समिति के सभी पदाधिकारियों ने भोपाल की समस्त जैन समाज से निवेदन किया है किआगामी 31 जुलाई को मोक्ष सप्तमी पर विद्या प्रमाण गुरुकुलम् के भगवान श्री पारसनाथ के समक्ष प्रातः7 बजे से मंगलाष्टक अभिषेक एवं शांतिधारा के पश्चात भावनायोग पर आधारित प्रवचन तदुपरांत 9:30 बजे भगवान श्री पारसनाथ स्वामी का मोक्षकल्याणक मनाया जायेगा मुनि श्री के मुखारविंद से मंत्रोच्चारण के साथ श्री सम्मेदशिखर तीर्थराज स्वर्णभद्र कूट की कल्पना करते हुये निर्वाणलाड़ू समर्पित किया जाएगा। एवं आगामी माह में 28 अगस्त से 6 सितंबर तक दशलक्षण महापर्व के अवसर पर श्रावक संस्कार शिविर संपन्न होगा जिसकी ओन लाईन एवं आफ लाईन बुकिंग प्रारंभ हो गई है कार्यक्रम बा.ब्र. अशोक भैयाजी लिधोरा के मार्ग निर्देशन में यह कार्यक्रम संपन्न होगा जिसका संयोजक संयोजक श्री अमर जैन भोपाल को बनाया गया है।

    संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312

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