अन्तर्मना उवाच* (01 जून!)वो जाने कैसे* —*मुकद्दर की किताब लिख देता है..*साँसे गिनती की है, और*ख़्वाहिशें बेहिसाब लिख देता है..!*

*अन्तर्मना उवाच* (01 जून!)वो जाने कैसे* —*मुकद्दर की किताब लिख देता है..*साँसे गिनती की है, और*ख़्वाहिशें बेहिसाब लिख देता है..!* *वो जाने कैसे* — *मुकद्दर की किताब लिख देता है..* *साँसे गिनती की है, और* *ख़्वाहिशें बेहिसाब लिख देता है..!*     *जिन्दगी ऐसे भागे जा रही है जैसे हाथ से रेत।* फिर भी *हम […]

Read More