श्रीमान अशोक पाटनी आरके मार्बल किशनगढ़ को श्रावक चक्रवर्ती की उपाधि से अलंकृत किया गया एवं परिवार को आचार्य श्रीसुनीलसागर महाराज की पुरानी पिच्छिका प्राप्त हुई

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श्रीमान अशोक पाटनी आरके मार्बल किशनगढ़ को श्रावक चक्रवर्ती की उपाधि से अलंकृत किया गया एवं परिवार को आचार्य श्रीसुनीलसागर महाराज की पुरानी पिच्छिका प्राप्त हुई
किशनगढ़
आचार्य आदिसागर महाराज के चतुर्थपट्टाचार्य 108 सुनीलसागर महाराज ससंघ के सानिध्य में पिच्छिका परिवर्तन के पावन अवसर पर मार्बल नगरी किशनगढ़ निवासी जैन भामाशाह श्री अशोक पाटनी(R K Marble) को आचार्य आदिसागर अंकलीकर अंतर्राष्ट्रीय जागृति मंच मुंबई द्वारा “श्रावक चक्रवर्ती” कि उपाधि से अलंकृत किया गया ।

 

 

निश्चित रूप से इनके जैसे व्यक्तित्व बहुत ही बिरले होते है। उनके व्यक्तित्व का सबसे प्रमुख गुण सादगी है। संतों की सेवा समाज सेवा एवं बच्चों की शिक्षा में अपना तन मन धन समर्पित करना उनके व्यक्तित्व का प्रमुख गुण है। जैसे इनके कार्य हैं उसके आगे यह अलंकरण बहुत कम है। पूज्य आचार्य श्री के चातुर्मास में भी उनके परिवार का एवं उनके स्वयं का अमूल्य योगदानहै।

आज परिवार को आचार्य श्री के समक्ष भक्ति करने एवं श्रीफल समर्पित करने का अवसर तो मिला ही साथ ही ऐसे महान अवसर पर ऐसे महान संत की पुरानी पिच्छिका प्राप्त हुई। उन्होंने 6 प्रतिमा के व्रत का नियम लिया। जैसे ही यह घोषणा हुई। यह परिवार भक्ति से झूम उठा और परिवार की प्रमुख श्रीमती सुशीला पाटनी भक्ति से भर गई और जमकर भक्ति की। इसके साथ ही परिवार ने आचार्य श्री को नमन कर उनसे मयूर

 

पिच्छिका प्राप्तकी। परिवार की और से श्रीमान अशोक कुमार महावीर कुमार विमल कुमार, सुरेश कुमार पाटनी के साथ श्रीमती सुशीला पाटनी, शांता पाटनी, सारिका पाटनी मौजूद रही। परिवार की विनय संपन्नता भी इस अवसर पर देखते बन रही थी।मौजूद सभी भक्त उनके पुण्य की अनुमोदना कर रहे थे। एवं तालियां बजाते हुए जय जयकार कर रहे थे। गाजे बाजे के साथ मस्तक पर पिच्छिका को रखकर श्रीमती सुशीला पाटनी एवं परिवार झूमते हुए अपने घर तक लाया। और उनके आवास में निर्मित प्रमुख स्थल पर इसे विराजमान किया गया। यह दृश्य सचमुच देखते हुए बन रहा था और परिवार खुशी से झूम रहा था। संपूर्ण भारतवर्ष आज इस परिवार की अनुमोदना कर रहा है। इस परिवार के लिए क्या कहें सेवा समर्पण त्याग नियम संकल्प में किसी भी तरह से परिवार अछूता नहीं है। निश्चित रूप से यह कई जन्मों का पुण्य उदय में आता है जब ऐसे महासंत की पिच्छिका प्राप्त होती है।
अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी की रिपोर्ट 9929747312

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