ज्ञान को संभालने के लिये जिनवाणी का स्वाध्याय करें – मुनि श्री नियम सागर महाराज

धर्म

ज्ञान को संभालने के लिये जिनवाणी का स्वाध्याय करें – मुनि श्री नियम सागर महाराज
विदिशा ः
संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य एवं आचार्य श्री 108समयसागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती निर्यापक श्रमण मुनि श्री 108 नियमसागर जीमहाराज,मुनि श्री108 पवित्रसागर ,मुनि श्री 108निरंजन सागर,मुनि श्री108 आदिसागर महाराज का चातुर्मास उपरांत पिच्छिका परिवर्तन समारोह अरिहंत विहार जैन मंदिर के प्रांगण में विशाल समारोह के साथ संपन्न हुआ।

 

प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया इस अवसर पर बड़ी संख्या में बाल ब्र. भैया जी तथा बाल ब्र.बहनों के साथ व्रती श्रावक एवं श्राविकाओं ने तथा मुनि श्री के ग्रहस्थ जीवन के परिवार जनों ने आचार्य श्री के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रजवलन किया।
इस अवसर पर निर्यापक श्रमण वरिष्ठ मुनि श्री 108नियमसागर जी महाराज ने कहा कि गुरु के आशीर्वाद से 20 जुलाई को भगवान शीतलनाथ स्वामी की गर्भ जन्म दीक्षा तथा ज्ञान कल्याणक भूमी पर पहली बार विदिशा आना हुआ।एवं शहर के बाहर शीतलधाम में चातुर्मास संपन्न हुआ।आप सभी भव्य जीवों ने शहर के बाहर होंने के बावजूद भी शहर के लोगों ने तथा कैमरा के लाईव टेलीकास्टिंग से दूर दराज के लोगों ने भी भगवान की इस वाणी को सुना मुनि श्री ने कहा कि ये प्रवचन नहीं बल्कि भगवान के वचन है इसे में नहीं बोलता बल्कि उस समय साक्षात भगवान ही मेरे कण्ठ में विराजमान होते है,और में भी उसमें अपने आत्मकल्याण का मार्ग ढूंढ लेता हूं।

 

मुनि श्री ने कहा कि भगवान शीतलनाथ की वंश परंपरा आज भी जीवित है मेंने स्वं भगवान से प्रार्थना की है कि इन सबका

 

कल्याण होंना चाहिये उन्होंने कहा कि पिच्छी का अग्रभाग बहुत हीकोमल होता है जो कि जीवरक्षा के लिये मुनिराजों के हाथों में प्रत्येक समय में रहती है,उन्होंने उपस्थित सभी धर्म श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुये कहा कि ज्ञान को संभालने के लिये जिनवाणी का स्वाध्याय करें। इस अवसर पर समाज के सभी वरिष्ठ नागरिकों सहित सकल दि. जैन समाज, श्री शीतल विहार न्यास,तथा श्री पारसनाथ जिनालय अरिहंत विहार सहित विदिशा नगर के सभी जिनालयों के पदाधिकारिओं ने मुनिसंघ को श्रीफल अर्पित कर जिनालयों में पधारने की अपील की।इस अवसर पर कर्नाटक महाराष्ट्र मध्यप्रदेश के प्रमुख नगरों से प्रतिनिधियो की उपस्थिति में निर्यापक श्रमण मुनि श्री नियम सागर महाराज की पुरानी पिच्छिका लेंने वाले भक्तों की संख्या को देखते हुये उसे चार परिवारों को प्रदान किया गया जिसमें सर्व प्रथम डा.अशोक जैन एवं श्रीमति सबिता जैन,पी.सी जैन किरी मौहल्ला, ए. के जैन (पूर्व एस ई) तथा श्री मति शीला जैन अभिषेक ज्वेलर्स को प्राप्त हुई। इसी क्रम में मुनि श्री पवित्र सागर महाराज तथा मुनि श्री निरंजन सागर महाराज तथा आदिसागर मुनिराज की पिच्छिका लेंने का एवं देने का सौभाग्य् वृती तथा संयम पालन करने वाले परिवारों को मिला। कार्यक्रम का संचालन अमोल भैयाजी ने किया एवं आभार प्रदर्शन शीतलधाम के अध्यक्ष सचिन जैन ने किया।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312

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