जिनके हृदय में गुरु बसे होते हैं उनके लिए संसार में कोई भी चीज दुर्लभ नहीं होती है आगम सागर महाराज
कुंडलपुर
परम पूज्य मुनि श्री 108 आगम सागर महाराज ने धर्म सभा में गुरु महिमा का बखान किया और गुरु की महिमा के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि गुरु की कृपा वरदान हुआ करती है। उनकी कृपा से सांसारिक सुख के साथ-साथ आत्मिक सुख की प्राप्ति होते हुए भव्य जीव के लिए निर्वाण की अवस्था उपलब्ध होती है। यह सब गुरु की कृपा से ही संभव होता है।
महाराज श्री ने कहा कि जिनके हृदय में गुरु बसे होते हैं उन्हें संसार में कोई चीज दुर्लभ नहीं होती, सभी चीज सुलभ होती चली जाती है, गुरु की भक्ति को हमने आगम ग्रंथो से जाना है। गुरु की भक्ति अच्छी तो तीर्थंकर प्रकृति का बंध करती है। वह तीर्थंकर प्रकृति जो तीनों लोकों में डंका बजाती है। संसार में जो परोपकार का कार्य करते है, वह तीर्थंकर प्रकृति वाले महापुरुष होते हैं।




पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के प्रति बोलते हुए उन्होंने कहा कि हमारे गुरु विद्यासागर महाराज अपने गुरु के अनन्य भक्त थे। जीवन के अंतिम समय तक उन्होंने उनकी चर्या को निभाया, और अपनी वाणी को संयमित करके रखा। इस प्रकार से अपने जीवन में जितनी भी ऊंचाइयों को पाया, सबका श्रेय स्वयम करते हुए भी सदा वही वार्तालाप करते रहे गुरु की कृपा से सब हो रहा है। उनकी उन वार्तालाप को सुनकर मन करता है गुरुवर विद्यासागर जी महाराज कृतित्व व्यक्तित्व से ऊपर उठकर अपनी आत्मा की उन्नति करते हुए सिद्धालय को प्राप्त करने के लिए इस कली काल में भी महान कठिन चर्या को संपन्न करके गए हैं।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312

