वास्तु और स्पष्टता
वास्तु की महा वास्तु टेक्निक में पूरे घर को 16 ज़ोन में बाता जाता है । हर ज़ोन का लाइफ के एक पार्ट पर नियंत्रण होता है ।आज से में एक जॉन के बारे में रोज बात करुगा । आज N E , ईशान्य के बारे में बात करेंगे ।
NE : इसमें मुख्यत दो देवता आते हैं N 8 diti एवं E 1 shikhi , यह ज़ोन स्पष्टता, नये विचार, सोच में स्पष्टता, अंतर्बोधी (इंट्यूटिव) आभास के लिए प्रज्ञा उत्तर-पूर्व (NE) के जोन (दिशा-क्षेत्र) से आती है। कोई भी नया विचार, अपने भीतर कोई न कोई इच्छा समेटे हुए है। अभिव्यक्ति की इच्छा अपने में समेटे हुए जब कोई विचार आता है उसे हम आइडिया कहते हैं। उसको आने के लिए मन का ग्रहणशील होना जरूरीहै। आमतौर पर जीवन में मन का अभ्यास बहिर्मुखी है, बाहर की ओर केंद्रित है।
ग्रहणशील मन जागृत अवस्था में बहुत कम लोगों के पास होता है। परन्तु प्रकृति ने मन की ग्रहणशीलता को गहरी नंद के साथ जोड़ रखा है। नींद में मन ग्रहणशील हो जाता है, परन्तु जागृत अवस्था में बहिर्मुखी रहता है, ग्रहणशीलता कम होती है। आप अगर ध्यान दें तो दिन भर आपके पास के लिए जाना जाता है ।कुछ करने वाले कामों की सूची होती है किमझे ये करना है, आदि आदि। कभी कभार ही शांति से बैठकर आपन मंथन कर पा है कि मुझे करना ।
अलकेमी की दिशाओं में उत्तर पूर्व दिशा में यह स्थान है जो आपकी आंतरिक ग्रहणशीलता, प्रज्ञा , स्पष्टता को संचालित करता है। प्राकृतिक रूप इस कोने में ऐसी ऊर्जा होती है ,जैसे ही आप उस प्रवेश करते हैं आप में ग्रहणशीलता बड़ जाती है ।इस क्षेत्र का बहुत बड़ा होना , कटा होना , यहां कोई स्टोर, टॉयलेट , अग्नि तत्व हो तो प्रज्ञा, स्पष्टता में कमी अति है । अपने निर्णय या तो डिले होते है या गलत होते है ।
जब भी लगे कि कुछ समझ नहीं आ रहा तो यह ज़ोन चेक करना चाहिए । ओर थोड़ी देर इस जॉन की ऊर्जा में बैठना चाहिए ।
वास्तु सर मनीष 6376239869
एस्ट्रोलॉजर प्रियंका
6377240323