सड़क हादसों में सफ़ेद हेडलाइट्स का सच जीवन को भी चकमा देती हैं : पवनघुवारा भूमिपुत्र

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सड़क हादसों में सफ़ेद हेडलाइट्स का सच जीवन को भी चकमा देती हैं : पवनघुवारा भूमिपुत्र
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भारत में यह समस्या अब गंभीर रूप ले चुकी है। दुनिया के कई विकसित देशों ने इस समस्या को पहले ही समझ लिया था। यूरोप, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में हेडलाइट्स की चमक और रंग पर सख़्त नियम हैं। तेज़ सफ़ेद हेडलाइट्स पर प्रतिबंध है। वहां पीली हेडलाइट्स को प्राथमिकता दी जाती है। यह केवल आँखों के लिए सुरक्षित नहीं है, बल्कि बारिश और धुंध में सड़क भी स्पष्ट दिखाई देती है। भारत में भी यह नियम हैं लेकिन उनका पालन कमजोर है। वाहन निर्माता चमकदार हेडलाइट्स को फैशन या मार्केटिंग के लिए बढ़ावा देते हैं,जागरूकता अभियान बहुत जरूरी हैं। जरूरत है कि सरकार, वाहन निर्माता और आम लोग मिलकर काम करें। सरकार को हेडलाइट्स की चमक और रंग (कलर टेम्परेचर) पर स्पष्ट मानक तय करने होंगे। 4300K से अधिक कलर टेम्परेचर वाली सफ़ेद हेडलाइट्स पर रोक लगानी चाहिए। सड़क परिवहन विभाग को नियमित जांच और सख़्त कार्रवाई करनी होगी। सफ़ेद हेडलाइट्स की रोशनी पारंपरिक पीली रोशनी की तुलना में कहीं अधिक तेज़ होती है। इंसान की आँखें नीली-सफ़ेद रोशनी के प्रति संवेदनशील होती हैं। जब यह तेज़ रोशनी सीधे सामने से आती है, तो चालक और पैदल यात्री दोनों कुछ सेकंड के लिए अंधे हो जाते हैं। रात का सफ़र हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है।इसी पल में हादसा हो जाता है। सड़क हादसों की वजह से हर साल भारत को GDP का लगभग तीन प्रतिशत नुकसान होता है। यह केवल व्यक्तिगत नुकसान नहीं है; यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी गंभीर खतरा है।सफ़ेद चमक नहीं, पीली दोस्ती चाहिए! सड़कें सुरक्षित हों, परिवार बचें और रात का सफ़र डर-मुक्त बने।
सड़क सुरक्षा केवल नियमों का पालन नहीं है, यह जिंदगी की रक्षा है। सफ़ेद हेडलाइट्स जैसी छोटी-सी चीज़ कई जानों को खतरे में डाल सकती है। एक पल की तेज़ रोशनी कई परिवारों के लिए हमेशा के अंधकार का कारण बन सकती है। अगर हम सब मिलकर जागरूकता फैलाएँ और सुरक्षित हेडलाइट अपनाएँ, तो सड़कें सुरक्षित होंगी, हादसों से परिवार बचेंगे और रात का सफ़र भयमुक्त होगा।आज समय है कि हम सब मिलकर आवाज़ उठाएँ, सरकार से नियम सख़्त करवाएँ, वाहन निर्माता अपनी ज़िम्मेदारी समझें और आम लोग जागरूक होकर बदलाव लाएँ। एक पल की चमक अगर जीवन का अंधकार बना सकती है, तो क्यों न उसी पल को जीवन और सुरक्षा की रोशनी में बदल दिया जाए। सड़कें सुरक्षित हों, हादसों से परिवार बचें और रात का सफ़र डर-मुक्त बने – यही हमारा लक्ष्य होना चाहिए।सड़क सुरक्षा केवल नियमों का पालन करना नहीं है, यह मानव जीवन की रक्षा का सवाल है। सफ़ेद हेडलाइट जैसी छोटी चीज़ भी बड़े पैमाने पर मौत और दर्द का कारण बन सकती है। वाहन निर्माता डिफ़ॉल्ट रूप से सुरक्षित और पीली हेडलाइट्स लगाएँ और ब्राइटनेस के बजाय सुरक्षा को प्राथमिकता दें। हर हादसा सिर्फ़ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे समाज की त्रासदी है।
✍️पवनघुवारा भूमिपुत्र

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