नगर में हुआ आचार्य विशद सागर जी महाराज ससंघ का मंगल प्रवेश।

धर्म

नगर में हुआ आचार्य विशद सागर जी महाराज ससंघ का मंगल प्रवेश।
सनावद– अनेक त्यागियों की नगरी नगर सनावद में शनिवार को आचार्य विराग सागर जी महाराज के परम शिष्य आचार्य विशद सागर जी महाराज सहित दस पिच्छि का मंगल प्रवेश बेड़ियां से सनावद नगर में हुआ।
समाज प्रवक्ता सन्मति जैन काका ने बताया की  आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य आचार्य विशद सागर जी महाराज का मंगल प्रवेश धर्मनगरी सनावद में शनिवार 21 जून 2025 को प्रातः 7.00 बजे बेड़ियां की ओर से हुआ सभी समाजजनों आचार्य श्री के पाद प्रक्षालन कर पुण्य अर्जित किया । आचार्य श्री की आगवानी खरगोन रोड चौधरी फ्यूल्स से सभी समाजजनो ने की तत्पश्चात आचार्य  संघ ने नगर में जैन मंदिरों के दर्शन  किए पश्चात बड़े मंदिर के सामने स्थित आचार्य शांति सागर वर्धमान देशना संत निलय में सर्व प्रथमसभा सभा का शुभारंभ मंगलाचरण.से हुई  मंगलाचरण प्रशांत जैन ने किया ।
सर्वप्रथम आर्यिका भक्तिभारती माताजी ने अपनी देशना देते हुवे कहा की आज कई लोग अभागे होते हे
जो नगर में हो कर भी यहां नहीं आ पाते हैं वो पुण्य के अवसर को नहीं खो ना चाहिए । ओर इस सुअवसर को मिले अच्छे कार्य में लगना चाहिए धार्मिक कार्यों में अपनी उपस्थित जरूर देना चाहिए,हमे प्रवचन सुनना चाहिए ,आहार विहार करवाना चाहिए, वैयावृती करनी चाहिए, और जो आचार्य संघ के प्रति हमारे जो बन सके वो कार्य करना चाहिए। आर्यिका माताजी ने आचार्य श्री गुणों का गुणानुवाद किया। इसी क्रम में मुनि श्री शुद्धोपयोग सागर जी महाराज ने कहा की ये नगर कोई साधारण नगर नहीं है यहां से राष्ट्र गौरव आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज सहितअठारह साधु ओ ने अपना जीवन धन्य किया हे सनावद नगर ऐसा नगर है जो तीर्थक्षेत्रों के बीच में बसा हे नगर का नाम उसके कर्मों से हुआ करता हे इस सनावद में हम पहले आचार्य विभव सागर जी महाराज के साथ आए थे। सरोवर में पानी हो तो पक्षियों को बुलाना नहीं पड़ता ओर समाज में भक्ति हो तो साधुओं को बुलाना नहीं पड़ता। अब यह सिद्ध हो गया हे की सनावद में भक्ति हे की साधुओं की सिद्ध भूमि में भक्ति हे क्योंकि हम यहां स्वयं आए हे इससे यह सिद्ध होता हे की साधुओं की सिद्ध भूमि में इस लिए साधु दौड़ दौड़ कर चले आते हैं।
अंत में आचार्य श्री विशद सागर जी महाराज ने अपने उद्बबोधन में कहा की प्रवचन सभा में अधिकतर वो लोग उपस्थित होते हैं जो रिटायरमेंट में की ओर होते हे बाकी जिनको कुछ सीखना है जिनको कुछ आगे बढ़ना हे ऐसे लोग कम नजर आते हे। जब हम लोगों से बात करते हे।

 

 

बच्चों को संस्कार देना चाहिए बच्चों को मंदिर लेकर जना चाहिए जो व्यक्ति आज अपने बच्चों को संस्कार देने के लिए उंगली पकड़ कर मंदिर लेकर आता हे जब कालांतर में आप का बुढ़ापा होता हे चलना नहीं होता जब वो बेटा आप को संस्कारित बेटा आप को हाथ पकड़ कर मंदिर के दर्शन करवाता है। आप ने बच्चे को पढ़ाकर नौकरी के लिए भेज दिया तो आप ने उसके नौकर बना दिया नौकर बनने वाला बेटा जब अपने माता पिता की सेवा तो बहुत दूर की बात हे
जब आप का बुढ़ापा आया तो वो नौकरी करने वाला बेटा आप के लिए नौकर रख देगा। इस लिए बचपन से ही अपने बच्चों को धर्म के प्रति जागरूक रखें उन्हें संस्कार दे ।
प्रवचन पश्चात आहार चर्या संपन्न हुई आचार्य श्री को आहार दान देने का सौभाग्य रजत कुमार जैन बड़ूद परिवार को प्राप्त हुआ।
आचार्य श्री के द्वारा दोपहर में श्री पार्श्वनाथ बड़ा मंदिर में विषापहार स्त्रोत 48 से दीपों पाठ करवाया गया।
जैसा की ज्ञात हो की आचार्य निरन्तर मालवा निमाड़ के क्षेत्रों के दर्शन कर इंदौर की ओर विहाररत है आप का चातुर्मास इंदौर नगर में संपन्न होगा।
शाम को हुआ मंगल विहार
नगर में सबेरे पधारे आचार्य विशद सागर जी महाराज सहित 10पिच्छी का मंगल विहार सिद्धवरकूट की ओर हुआ।

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