मुनि श्री सुव्रतसागर महाराज का हुआ मंगल प्रवेश एवम मुनि श्री अविचल सागर महाराज से हुआ महामिलन
अशोकनगर
परम पूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज के परम शिष्य परम पूज्य मुनि श्री 108 सुव्रतसागर महाराज पिपरई से मंगल विहार करते हुए अशोकनगर में मंगल प्रवेश हुआ मंगल प्रवेश की बेला में पूर्व में ही नगर में विराजमान मुनिश्री 108 अविचल सागर महाराज ने महाराज श्री कि आगवानी की। एवं दोनों का महा मिलन हुआ। इस महामिलन के समाज बंधु साक्षी बने। जगह-जगह पद प्रक्षालन एवं मंगल आरती कर अगवानी की गई।
दुख को पसंद करना सीख जायें तो दुख दिखेगा ही नहीं–मुनि श्री
इस दौरान धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री अविचल सागर जी महाराज ने कहा कि दुख को पसंद करना सीख जायें तो दुख दिखेगा ही नहीं संसार में सुख नाम की चीज है ही नहीं।
उन्होंने एक उदाहरण के माध्यम से समझाया आपके बेटे के पिच्चासी नम्बर आये तब आप खुश थे तब ही उसके मित्र की अंक सूची देखी उसके नब्बे नम्बर को देखकर आप दुखी हो गये सुख दुख होना पाप और पुण्य तय नहीं करते ये तुम्हारे मन पर निर्भर करता है।
सुखी होना और दुखी होना तुम्हारी शिक्षा तय करती है आप अपने जीवन में पाप कर्म के उदय को अधिकतम दस पांच बार देखेंगे बल्कि और भी कम लेकिन आप बार बार दुखी होते हो, तो तुम अपनी मुर्खतापूर्ण काम के कारण ही दुखी होते हो खुद की मूर्ख बुद्धि के कारण तुम दुखी होते हैं तुम्हारे कोई पाप बाप का उदय नहीं है आपने ऐसी शिक्षा ली है कि थोड़ा भी कुछ अभाव हुआ और दुखी होना शुरू कर दिया हमें अपनी शिक्षा को बदल कर सुख दुःख को सही तरह से समझना होगा।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312