जिन पर हम अंधविश्वास करते हैं अक्सर वही लोग हमारी आंखे खोलते हैं प्रसन्न सागर महाराज
अहिक्षेत्र
अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर महाराज ने भगवान पार्श्वनाथ की केवल ज्ञान भूमि अहिक्षेत्र पारसनाथ पर अपने मंगल प्रवचन देते हुए कहा किजिन पर हम अन्ध विश्वास करते हैं..अक्सर वही लोग हमारी आँखे खोलते हैं..!
एक उदाहरण के माध्यम से बताया कि कभी आपने ध्यान दिया-? महिलाएँ रोती है तो मुंह पर हाथ रखती है और पुरूष रोते हैं तो आँखो पर हाथ रखते हैं – पता है क्यों-?चिन्तन की गहराई में जाने के बाद पता चला कि औरतें ज्यादा गुनाह अपनी जुबान से करती है और पुरूष निगाहों से। इसलिए हमारे आचार्यों ने कहा – आँख और जुबान पर जिसने कन्ट्रोल कर लिया, उसने जीते जी इस जीवन को स्वर्ग बना लिया। क्योंकि सभी पापों की जड़ आँख है। कहते हैं – ना अखियों से गोली मारे। और वाद विवाद की जड़ है जुबान। डॉक्टर और वकील का जीवन आपकी जुबान से चल रहा है।
महाराज श्री ने कर्म सिद्धांत की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि भगवान महावीर कहते हैं – जैसा कर्म करोगे, फल भी वैसा ही भोगना पड़ेगा। आज जो तुम कर्मों के बीज का बीजारोपण कर रहे हो, कल जब वह वृक्ष बनेगा, तो फल तो लगेंगे। हाँ, इतना अन्तर जरूर हो सकता है कि टमाटर का पौधा लगाओगे तो शायद दो-चार महीने में फल आ जायेगा और आम या नारियल का वृक्ष लगाओगे तो छह-आठ वर्ष फल का इन्तजार करना पड़ेगा। फल तो मिलेगा। इस भ्रम में मत रहना कि गंगा में नहाने से और भगवान का अभिषेक करने से हम पापों से मुक्त हो जायेंगे।
गंगा जैसी पवित्रता आचरण में प्रकट होगी तो गंगा-स्नान से और जिनाभिषेक से मुक्ति दिलाने में समर्थ होगा। क्योंकि अपने कर्मों का फल तो स्वयं को ही भोगना पड़ेगा। फिर किसी को दोष मत देना।
एक लोकोक्ति के माध्यम से कहा आंख खुली तो सपना गया और आँख मुंदी तो दफना गया…! नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद से प्राप्त जानकारी संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312