मुनि श्री प्रमाण सागर महाराज के हुए केशलोच
भोपाल
मध्यप्रदेश की राजधानी धर्म परायण नगरी भोपाल के टीटी नगर में विराजित गुणायतन प्रणेता मुनि श्री 108 प्रमाण सागर महाराज के केशलोच हुए आज महाराज श्री का उपवास रहेगा।
जैन धर्म में साधु की सबसे कठिन तपस्या होती है
जैन धर्म की कठिन तपस्या का एक अनिवार्य हिस्सा और मूलगुण है केशलोंच। जैन साधु अपने आत्मसौंदर्य को बढ़ाने के लिए कठिन साधना करते हैं। जैन संत जब अपने हाथों से घास- फूस की तरह सिर, दाढ़ी व मूंछ के बाल को आसानी से उखाड़ देते हैं तो यह पल देखते ही कई श्रद्धालु भाव विभोर हो जाते हैं।
इस कठिन तपस्या के जरिए जैन साधु में शरीर की सुंदरता का मोह खत्म हो जाता है।
जैन साधु जब केशलोंच करते है तो आत्मा की सुंदरता कई गुना बढ़ जाती है।
यहीं से संत का संतत्व निखरकर कुंदन बनता है। ऐसा नहीं है कि अपने हाथों से सिर के बाल, मूंछ और दाढ़ी के बाल तोड़ना एक बार की विधि हो। साल में तीन से चार बार केशलोंच की परम्परा होती है। जैन संत अहिंसा व्रतों के पालन के साथ ही शरीर से राग भाव को भी हटाते है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312