तपस्वी श्रीमती जोशना बेन, ललित भाई के पुत्र भाविन गांधी ने अपने माता-पिता की विवाह वर्षगांठ को धर्म आराधना कर मनाया

देश

तपस्वी श्रीमती जोशना बेन, ललित भाई के पुत्र भाविन गांधी ने अपने माता-पिता की विवाह वर्षगांठ को धर्म आराधना कर मनाया
खेदब्रह्मा
जन्मदिन विवाह वर्षगांठ सभी मनाते हैं उसमें भी अपने माता-पिता के जन्मदिन विवाह वर्षगांठ आदि के दिवस को लोग मौज शौक विलासिता की ओर मनाते है लेकिन गांधी भाविन जैन ने अपने माता-पिता श्रीमती जोशना बेन, ललित भाई की विवाह वर्षगांठ धर्म आराधना को समर्पित की और महामंडल विधान अपने पिता की इच्छा अनुसार घर पर ही करवाया।

 

 

श्री भाविन जैन से हमने उनसे जाना उन्होंने बताया कि 2/2/2025 बसंत पंचमी दिन हमारे पूज्य मम्मी पापा शादी की 57 मी सालगिरह के अवसर पर आज शांति विधान करवाने का लाभ प्राप्त हुआ है हमारे मम्मी पापा छोटे से गांव देरोल अभी देवपुरी के नाम से प्रचलित है पापा का जन्म देरोल में हुआ मम्मी इडर नगर में हुआ हम चार भाई बहन हैं।

 

मम्मी को 1 साल से पैरालिसिस होने की वजह से वह बिस्तर में है और पापा की भी तबीयत इतनी खास ठीक नहीं है लेकिन इन दोनों का प्यार आज भी बेकरार है मम्मी पापा एक दूसरे के लिए आज भी इतने ही चिंतित थे।पको बता दें यह भी गौरव की बात है कि इनकी माता श्री ने 32 उपवास की तप आराधना भी की है।

 

 

 

और धार्मिक विचारों से ओत प्रोत हैयह हर साल पर्यूषण पर्व में कोई ना कोई व्रत उपवास भी किया करती थी। लेकिन इसे वेदनीय कम का उदय कहें यह समय का खेल उन्हें पैरालिसिस जैसा उपसर्ग उन पर आने से आज वह बिस्तर पर है।

इन दोनों की धर्म निष्ठा इस बात से जाहिर हो जाती है कि इन दोनों ने सभी सिद्ध क्षेत्र की यात्रा भी की है। एवं उनके पिता अभी भी धर्म कर्म में पीछे नहीं है। जब घर में मंडल विधान कराया तब उनकी भावना उन्होंने हमको बताई और कहा कि हर साल अपने घर पर विधान करवाओ।

 

 

निश्चित रूप से श्री भाविन जैन ने भी माता-पिता की सेवा करने में पीछे नहीं है और श्रवण कुमार बनाकर उनकी सेवा कर रहे हैं और उन्हीं के संस्कारों को पल्लवित करते हुए अपनी कलम के द्वारा धर्म प्रभावना जन जन तक प्रेषित कर रहे हैं। बिरले होते हैजो अपने माता-पिता की सेवा करते हैं।

 

 

उनकी माता-पिता की 2 वर्ष पूर्व  विवाह वर्षगांठ पर भी उन्होंने अपने माता-पिता के चरण धोकर उनका आशीर्वाद दिया जब इन क्षणों को कोई देख लेता है तो उनकी पलके भीगने से नहीं रुक पाती।

मैं यह नहीं कहता की मंदिर ना जाए मैं यह नहीं कहता की पूजा पाठ ना करें लेकिन अगर माता-पिता की सेवा नहीं कर रहे हैं तो मंदिर जाना पूजा करना व्यर्थ है क्योंकि सच्चे अर्थों में भगवान माता-पिता के चरणों में है। इसका उदाहरण श्री गणेश से मिलता है। जब शंकर भगवान और पार्वती जी ने अपने पुत्र गणेश और कार्तिकेय को कहा कि जो संसार की सबसे पहले परिक्रमा पूरी करके आएगा उसकी पूजा सर्वत्र होती रहेगी। तब दोनों ने स्वीकार किया लेकिन कार्तिकेय तो परिक्रमा करने चले गए लेकिन श्री गणेश अपने माता-पिता के समीप ही रहे तब उनसे माता-पिता ने पूछा कि तुम नहीं गए परिक्रमा नहीं की तब उन्होंने अपने माता-पिता की परिक्रमा की तब उनसे दोनों ने पूछा यह क्या तो श्री गणेश ने कहा कि संसार तो माता-पिता के चरणों में है एवं माता-पिता में है। आज श्री गणेश संपूर्ण जगत में सर्वप्रथम पूज्य माने गए हैं।निश्चित रूप से इनका यह कार्य सभी के लिए प्रेरणा है। यह तो सच है कि भगवान है धरती पर रूप मां बाप का इस विधाता की पहचान है इतने उपकार हैं क्या कहें यह बताना नया सार धरती पर मां-बाप का इस विधाता की पहचान है।अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *