उपभोक्तावादी सोच ने आज सभी सम्बन्धों को भी समाप्त कर दिया प्रमाण सागर महाराज
इंदौर
“अत्यासक्ती”में जो चांद सा मुखड़ा, हंस सी चाल,और गजगामनी नजर आती थी,वास्तविकता का पता लगने पर वही प्यार नफरत में बदल जाता है,यदि समय पर सही मार्गदर्शन न मिले तो देह सौन्दर्य में अत्यासक्त व्यक्ति डिपरेशन में आकर आत्महत्या तक कर लेता है।
उपरोक्त उदगार मुनि श्री प्रमाण सागर महाराज ने नेमीनगर इंदौर में प्रातःकालीन धर्मसभा में व्यक्त किये।
मुनि श्री ने चार बातें आसक्ती,अनासक्ति,
अत्यासक्ति,और विरक्ति पर चर्चा करते हुये कहा कि “वस्तु, व्यक्ती, धन संपत्ति, अथवा देहआकर्षण के प्रति गाड़ लगाव ही आसक्ती को जन्म देता है, जब आसक्ती ही अत्यासक्ती में बदल जाती है तो वह दुःख प्रदान करता है तथा अनासक्ति का भाव उत्पन्न कर विरक्ति में बदल देता है”
मुनि श्री ने कहा कि सबसे ज्यादा हमारा आकृषण देह के प्रति होता है “पहले तो माता बहनें ही व्यूटी पार्लर जाती थी लेकिन आजकल तो पुरुष भी व्यूटी पार्लर जाने लगे है” मुनि श्री ने कहा कि अपने शरीर के प्रति जागरूकता रखो लेकिन उसके प्रति इतने आसक्त मत हो जाओ कि देही के पीछे उस विदेही को ही भूल जाओ उन्होंने कहा कि शरीर एक साधन है,विवेकहीन मनुष्य इस शरीर के माध्यम से जंहा संसार को पुष्ट करते है वही विवेकवान पुरुष इस शरीर के माध्यम से अपनी आत्मा को पुष्ट करते है,जो व्यक्ति संसार,शरीर और भोगों की वास्तविकता को समझता है वह इसमें रमता नहीं, उसे शरीर की क्षणभंगुरता का अहसास होता है,और वह वैराग्य को धारण कर अपने जीवन का उद्धार कर लेता है और जो इसमें उलझा रहता है वह अपने संसार को और बढ़ाता है। मुनि श्री ने कहा कि में यह नही कहता कि पैसा मत जोड़ो पैसा के बिना जिंदगी नहीं चलती लेकिन पैसा के प्रति आसक्ती मत रखो।
उन्होंने उदाहरण देते हुये कहा “कंजूस बाप को मरता देख बेटे ने मंगवा लिया बड़ा सा कफन,जिसे देख वह पिता बोला- क्यों दुगना मंगवा लिया तूने कफन अब एक काम कर आधा मुझे उड़ा देना आधा तेरे काम आ जाएगा” मुनि श्री ने कहा कि पुरानी पीढ़ी में मौटा खाने की आदत होती थी और पैसा को जोड़ने की कला थी वह अनावश्यक खर्च नहीं करते थे,वही आजकल की नयी पीड़ी में धन की कमी तो है नहीं, खूब कमाते है और सब कुछ खर्च कर देते है भोगासक्ति की इस आदत से पीजा वर्गर फास्ट फूड और तरह तरह की वस्तुए ओन लाईन मंगा लेते है,तथा बीमारियों से घिर जाते है, मुनि श्री ने कहा कि उपभोक्तावादी सोच ने आज सभी सम्बन्धों को भी समाप्त कर दिया है, व्यक्ति देह आकर्षण में उलझ कर रह गया है। सत्य घटना सुनाते हुये कहा “एक युवक किसी गलत युवती के प्यार में फंस जाता है उसके पिता उसे मेरे पास लेकर आते है में उसे समझाता हूं लेकिन उसे समझ नहीं आता तो मेरे मुख से निकल जाता है कि यह संबंध नहीं होगा चिंता मत करो समय का इंतजार करो “जिसको जिसके प्रति आकृषण होता है,वह उसकी आसक्ती में पागल हो जाता है,परिजन उसे समझाते है तो वह उसे दुश्मन लगते है, समय रहते उसे जब वास्तविकता का पता लगता है,तो वह अपने आपको लुटा लुटा सा महसूस करता है,ऐसे में सही मार्गदर्शन और वात्सल्य से ही व्यक्ती संभलता है,वही गलत निर्णय आत्महत्या की ओर प्रेरित करते है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312