कोरोना जैसे भीषण समय में 1500 करोड़ का दान देने वाले उद्योगपति श्रीमान रतन टाटा हमारे बीच नहीं

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कोरोना जैसे भीषण समय में 1500 करोड़ का दान देने वाले उद्योगपति श्रीमान रतन टाटा हमारे बीच नहीं
एक ऐसा व्यक्तित्व जितने देश का निर्माण की ओर प्रेरित किया देश में औद्योगिक क्रांति को जन्म दिया देश में नवीन तकनीक के साथ देश की उन्नति एवं प्रगति में अपना योगदान दिया।

 

यह बिल्कुल यथा नाम तथा उनका सार्थक करने वाले व्यक्तित्व थे रतन टाटा सचमुच एक रतन थे निश्चित रूप से देश के लिए एवं औद्योगिक जगत के लिए यह अपूरणीय क्षति है। जिसे भरा नही जा सकता उन्होंने कोरोना जैसे भीषण समय में अपनी ओर से 1500 करोड रुपए का अनुदान दिया था जो उनके देश के प्रति प्रेम को दर्शाती है।
एक कुशल व्यापारी एवं उद्योगपति तो कोई भी हो सकता है। लेकिन उद्योगपति होने के लिए एक अच्छा और ईमानदार व्यक्ति होना आवश्यक है।वह गुण इनमें परिलक्षित होता था।
भारत देश प्रत्येक व्यक्ति को उन पर गौरव महसूस होता था। उनके अमूल्य योगदान के कारण वे हजारों लोगों के आदर्श थे।। भारत देश का नाम देश का नाम पूरे विश्व में उन्होंने विख्यात किया।

कई प्रसिद्ध भारतीय ब्रांड थे, जैसे टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा डिजिटल, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और टाटा होटल्स। स्टारबक्स और जगुआर ने पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी के लिए टाटा के साथ हाथ मिलाया है उन्होंने अपना कारोबार और भी बढ़ाया।

 

 


उनके योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया जा चुका है। जिसकी सूची काफी लंबी है श्री टाटा के कहीं महत्वपूर्ण विचार थे यदि उन्हें अपना ले तो हर आदमी उन्नति का स्वर्णिम शिखर ले सकता है। वह कहतेथ- ”मैं सही फैसले लेने में विश्वास नहीं रखता. मैं निर्णय लेता हूं और फिर उन्हें सही बनाता हूं।”- “तेज़ चलना है तो अकेले चलो।” लेकिन अगर तुम दूर तक चलना चाहते हो तो साथ चलो।- “मैंने अक्सर महसूस किया है कि इंडियन टाइगर को आज़ाद नहीं किया गया है।” “लोग अब भी मानते हैं कि वे जो पढ़ते हैं वह अनिवार्य रूप से सत्य है- “यदि यह सार्वजनिक जांच की कसौटी पर खरा उतरता है, तो इसे करें… यदि यह सार्वजनिक जांच की कसौटी पर खरा नहीं उतरता है, तो इसे न करें।- “सत्ता और धन मेरे दो मुख्य दांव नहीं हैं।- “मैं लगातार लोगों से कहता रहा हूं कि लोगों को प्रोत्साहित करें, निर्विवाद सवाल करें और काम पूरा करने के लिए नए विचार, नई प्रक्रियाएं लाने में शर्मिंदा न हों।- “लोहे को कोई नष्ट नहीं कर सकता, लेकिन उसका जंग उसे नष्ट कर सकता है!” इसी तरह, किसी व्यक्ति को कोई भी नष्ट नहीं कर सकता, लेकिन उसकी अपनी मानसिकता उसे नष्ट कर सकती है!- “व्यवसायों को अपनी कंपनियों के हित से परे उन समुदायों तक जाने की जरूरत है जिनकी वे सेवा करते हैं।” “जीवन में उतार-चढ़ाव हमें चलते रहने के लिए बहुत ज़रूरी हैं क्योंकि ईसीजी में भी एक सीधी रेखा का मतलब है कि हम जीवित नहीं हैं।”
टाटा से जुड़ा एक रोचक तथ्य
आपको बताने की 90 के दशक में रतन टाटा कंपनी का विस्तार कर रहे थे। उनके नेतृत्व में टाटा मोटर्स ने टाटा इंडिका (Tata Indica) कार लॉन्च की। कार तो बन गई, लेकिन उस वक्त देश में कारों की सेल कुछ खास नहीं थी। जैसा रतन टाटा ने सोचा था, इंडिका कार को लेकर लोगों का रिस्पांस वैसा नहीं था। कंपनी पर घाटे का दवाब बढ़ने लगा तो रतन टाटा ने पैसेंजर कार डिवीजन को बेचने का फैसला किया। इसलिए रतन टाटा ने अपनी पैंजेकर कार डिवीजन को बेचने के लिए अमेरिकी कार मैन्चुफैक्चरिंग कंपनी फोर्ड मोटर्स (Ford Motors) से बातचीत शुरू की। इस डील के लिए रतन टाटा अमेरिका में फोर्ड के हैडक्वाटर गए। मगर उस वक्त फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड थे। दोनों की मुलाकात के दौरान बिल फोर्ड ने रतन टाटा का खूब मजाक उड़ाया।

 

उन्होंने रतन टाटा का अपमान करते हुए बोला कि आप कार के बारे में कुछ जानते ही नहीं तो कार बनाया ही क्यों? उन्होंने रतन टाटा सर को बहुत कुछ बुरा भला कहा और यह भी कहा कि अगर वो टाटा के उस कारोबार को खरीदते हैं तो ये उनपर बड़ा एहसान होगा। रतन टाटा अपमान के इस घूंट को चुपचाप पीकर रह गए और बिना कुछ रिएक्ट किए भारत लौट आए। अमेरिका से लौटकर रतन टाटा ने अपने पैसेंजर कार बिजनेस को बेचने का फैसला टाल दिया।

 

रतन टाटा ने अधिक परिश्रम से सालों साल काम करते रहे और 10 सालों में उन्होंने टाटा मोटर्स का ऑटोसेक्टर में बहुत बड़ा नाम बना दिया । दिन और दिन टाटा मोटर्स सक्सेस की नई ऊंचाईयों को छू रहा था, वहीं अमेरिका की फोर्ड की हालत खराब हो रही थी। 10 साल बाद फोर्ड मोटर्स दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया। कंपनी का पूरा दिवाला निकल गया था और कंपनी बेचने की कगार पर था ।

रतन टाटा ने फोर्ड के Jaguar और Land Rover ब्रांड को खरीज लिया। इस डील के दौरान जब दोबारा से रतन टाटा और बिल फोर्ड मिले तो सीन बदल चुका था। जिस शख्स ने रतन टाटा का अपमान किया था, वो आज उन्हें थैंक्यू बोल रहा था। उनसे रतन टाटा से कहा कि आपने जैगुआर और लैंड रोवर खरीदकर हमपर एहसान किया है। सादगी के प्रतीक साधारण दिखने वाले असाधारण व्यक्तित्व को कोटि-कोटि नमन
अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312

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