भाग्योदय तीर्थ में श्रावक संस्कार शिविर में 8 वर्ष के बालक से लेकर 74 वर्ष के वृद्ध तपस्वी की तरह जी रहे हैं जीवन रामगंजमंडी के देवेंद्र जैन टोंग्या भी इसमें सम्मिलित

धर्म

भाग्योदय तीर्थ में श्रावक संस्कार शिविर में 8 वर्ष के बालक से लेकर 74 वर्ष के वृद्ध तपस्वी की तरह जी रहे हैं जीवन रामगंजमंडी के देवेंद्र जैन टोंग्या भी इसमें सम्मिलित
सागर
गागर में सागर, जहा पर हो शिष्य विद्यासागर, वह धरा है सागर इनका नाम हम लेंगे वह है मुनि सुधासागर यह बात इसलिए घोतकता सिद्ध कर रही है की की निश्चित रूप से सागर इन दोनों भक्ति का सागर बना हुआ है और त्याग तप का एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है।

 

पूज्य मुनि श्री सुधा सागर महाराज सानिध्य में प्रतिवर्ष 10 लक्षण पर्व पर श्रावक संस्कार शिविर लगाया जाता है। हजारों की संख्या में श्रावक आते हैं और धर्म साधना करते हैं। वह भी कठोरता के साथ। निश्चित रूप से यह गुरुदेव की दृढ़ता उनकी प्रेरणा है। क्योंकि इस काल में युवा जहां मोज शोक मस्ती में अपना जीवन व्यतीत कर देता है, ऐसे में युवा धर्म से जुड़कर मोबाइल पैसा व परिवार से दूर रहकर विगत 10 दिनों तक आराधना करता है और बिल्कुल एक संत की तरह जीवन जीने का प्रयास करता है।

जी हां अपने आप में इस काल में अनुपम उदाहरण देता है जो भी श्रावक इस शिविर में भाग ले रहा है मोबाइल पैसा अपना परिवार 10 दिनों तक छोड़कर ब्रह्मचर्य का पालन करता है यहां तक की बाहर की दुनिया का भी त्याग कर वैराग्य की ओर अग्रसर होता है। इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है। यह दुनिया के राग मोह से विरक्ति वैराग्य की ओर बढ़ने की एक पाठशाला है।

यहां तक की योग तप एक समय मौन भोजन इन श्रावकों की दैनिक दिनचर्या का हिस्सा है। शिविर में भारतवर्ष के अनेक प्रांतो के साथ-साथ विदेश से भी श्रावक बंधु आकर इस शिविर में साधना कर रहे हैं। जिसको लेकर कोलकाता से आए कलाकारों द्वारा भव्य पंडाल भी तैयार किया है जिसकी जानकारी पूर्व में हम सभी को हो चुकी है।

 

शिविर की खास बात
इस श्रावक संस्कार शिविर में 8 वर्ष के बालक से लेकर 74 वर्ष तक के बुजुर्ग परिवार व भौतिक संसाधन को छोड़कर 10 दिन तक सन्यासी का जीवन जी रहे हैं। सुबह से शाम तक की अनवरत धर्म साधना करते हैं। जो भी शिविर में सम्मिलित श्रावको है। किसी को मुनि श्री के प्रवचनों ने तो किसी को उसके बहनोई वह समाज और राष्ट्र कल्याण के लिए जीवन जीने की प्रेरणा मिली है।

 

 

परिवार के सदस्य मुनि श्री भावसागर महाराज एवं मुनि श्री अनंत सागर महाराज से मिली प्रेरणा सुरेश जैन बिजोलिया निवासी
राजस्थान के बिजोलिया के बुजुर्ग 74 वर्षीय श्री सुरेश जैन बताते हैं कि वह भाग्योदय तीर्थ शिविर में भाग लेने आए हैं। यह बताते हैं कि यह मेरा आठवां शिविर है। इसकी प्रेरणा मुझे अपने परिवार से मिली इसी के साथ में बताते हैं कि मुनि श्री भावसागर महाराज, मुनि श्री अनंत सागर महाराज मेरे चचेरे भाई हैं। उन्होंने वैराग्य ले लिया तो उनसे प्रेरणा लेकर मैंने शिखरजी तीर्थ में शिविर में जाने का संकल्प लिया।

शिविर में खास बात यह है कि 31 वे श्रावक संस्कार शिविर में नितिन टडेया पुत्र आरव इस शिविर के सबसे छोटे शिविरार्थी के रूप में भाग लिया है। इसी के साथ वह अपने पहले शिविर में गुरुदेव से संकल्प लेकर व्रत पालन करते हुए ध्यान आराधना कर रहा है। 8वर्षीय आरव को 10 लक्षण महापर्व के मुख्य विषय इष्टोपदेश के 51 श्लोक मौखिक याद है। बालक की लगन जिज्ञासा को देखकर मुनि श्री ने उसे अलग से बुलाकर आशीर्वाद दिया और दो काव्य सुनकर अलग से परीक्षा लेने की बात कही।
रामगंज मंडी के देवेंद्र टोंग्या छठी बार इस शिविर में शामिल
सागर में होने जा रहे श्रावक संस्कार शिविर में छठवीं बार रामगंजमंडी नगर के देवेंद्र टोंग्या भाग लेने पहुंचे

वही रामगंजमंडी नगर श्री देवेंद्र टोंगिया पुत्र श्री शिखरचंद टोंगिया छठवीं बार इस शिविर में भाग ले रहे हैं। जो अपने आप में अद्भुत है।
वे बताते हैं कि उन्हें इस शिविर में आकर काफी कुछ सीखने को मिलता है। तप साधना क्या होती है यह हमें पूज्य मुनि श्री के द्वारा बताया जाता है और इससे जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है साथ ही धर्म से जुड़ने का मौका मिलता है और संस्कारों को पल्लवित करने का एक माध्यम है। बहुत करीब से नियम संयम से रहने की सीख हमे मिलती है। सचमुच यह शिविर संस्कारों का शंखनाद है। मुझे प्रतिवर्ष भारी कोलाहल से दूर रहकर धर्म आराधना करने का एक स्वर्णिम अवसर मिलता है और मैं यह मानता हूं कि इससे अच्छा स्वर्णिम अवसर और क्या होगा। उन्होंने कहा कि मैं अपने आप को गौरवान्वित और पुण्यशाली मानता हूं कि मुझे छठवीं बार इस शिविर में शामिल होने का अवसर प्राप्त हुआ है।

 

 

जीजा व साला एक साथ शिविर में बने शिविरार्थी
इस भाग्योदय तीर्थ में चल रहा है शिविर में जीजा व साला एक ही चीज में एक साथ व्रत तप व अभिषेक कर रहे हैं। पैसे से गलिया व्यापारी मनोज जैन ढाना, 58 वर्षीय का यह पहला शिविर है। जबकि 45 वर्षीय आनंद जैन का यह 13वां शिविर है। मनोज जैन बताते हैं कि पहले भाई और पिता शिविर में भाग लेते थे। फिर पहले ही शिविर से साले आनंद जैन भी भी भाग ले रहे हैं। और इन्हीं से प्रेरित होकर शिविर में सन्यासी के रूप में आराधना करने का निर्णय लिया।
अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी की रिपोर्ट 9929747312

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