शांति से वीतरागता से क्षयोपशम बढ़ता है l बुझा हुआ दीपक अन्य दीपकों को प्रज्वलित नहीं कर सकता आचार्य कनकनदी गुरुदेव

धर्म

शांति से वीतरागता से क्षयोपशम बढ़ता है l बुझा हुआ दीपक अन्य दीपकों को प्रज्वलित नहीं कर सकता आचार्य कनकनदी गुरुदेव
पारडा ईटीवार
जिनवाणी नंदन वैज्ञानिक धर्माचार्य कनकनदी गुरुदेव ने पारडा ईटीवार से अंतरराष्ट्रीय वेबीनार में बताया कि शांति से वीतरागता से क्षयोपशम बढ़ता है l बुझा हुआ दीपक अन्य दीपकों को प्रज्वलित नहीं कर सकता l एक जले हुए दीपक से अनेक दीपक प्रज्वलित होते हैं l धर्म दुष्ट को शिष्ट, नर को नारायण, पतित को पावन, जीव को जिनेंद्र बनाने वाला है l तरण तारण गुरु होते हैं l

 

जब हम प्रभु के पास दास बनकर जाते हैं तो उनके गुण हममे भी आने लगते हैं l जिस प्रकार लोहा चुंबक के पास जाने से चुंबक बन जाता है l चुंबक में क्रमबद्ध एटम होते हैं लोहे में अक्रमबद्ध एटम होते हैं चुंबक के पास जाने से वह क्रमबद्ध हो जाते हैं l भगवान के पास जाने से भगवान में जो गुण है वह हमारे अंदर भी गुण उत्पन्न करने में सहायक होते हैं l उपादान शक्ति स्वयं में है परंतु निमित्त से वह शक्ति जागृत हो जाती है l शिव अर्थात पवित्र, मोक्ष l शिव स्वरूप पवित्र बनकर पूजा आराधना करने से तुम स्वयं शिव बन जाओगे l भगवान ज्वलंत दीपक है हम बुझा हुआ दीपक है भगवान के पास जाने से हमारा दीपक भी

 

 

 

जाज्वल्यमान हो जाएगा l जो भव्य है वही भगवान बनता है l भक्त ही भगवान बन जाता है l विद्यार्थी ही शिक्षक बनता है l बिना भक्त बने भगवान नहीं बन सकते l बिना पूजा किये पुज्य नहीं बन सकते l सेवक बने बिना मालिक नहीं बन सकते l बिना सत्संगति के यथार्थ ज्ञान नहीं हो सकता l देव शास्त्र गुरु की संगति के बिना आत्मा परमात्मा नहीं बन सकता l गुरु की संगति से ज्ञान हो जाता है कि जैसे भगवान है वैसा मैं भी हूं l मेरी आत्मा को ही पुरुषार्थ करके परमात्मा बनाना है l
विजयलक्ष्मी जैन गोदावत से प्राप्त जानकारी
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312

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