धर्मसभा में प्रवचन को सुने, स्मरण करें चिंतन कर ग्रहण करें धार्मिक पर्व आपके जीवन दोष निकालने की प्रेरणा देते हैं तभी आपका मानव जीवन सार्थक होगा आचार्य श्री वर्धमान सागर जी
पारसोला
दशलक्षण पर्व के पांचवें दिन उत्तम शौच धर्म पर प्रवचन करते हुए आचार्य वर्धमान सागर जी ने बताया कि उत्तम शौच धर्म सबसे बड़ा धर्म है ।वर्तमान में संसारी प्राणी हर कार्य में लोभ करता है लोभ के बारे में आचार्य श्री ने प्रवचन में बताया कि व्यक्ति को जीवन का लोभ , आरोग्य का लाभ, इंद्रिय का लोभ भोगाभोग सामग्री का लोभ होता है इसकी विवेचना करते हुए आचार्य श्री ने प्रवचन में बताया कि जीवन के लोभमें शुभम चक्रवर्ती ने अपने प्राण बचाने के लिए णमोकार मंत्र को लिखकर मिटा दिया इस कारण उसकी दुर्गति हुई।
व्यक्ति अपना जीवन बचाने के लिए धर्म को छोड़ देता है जबकि धर्म ही सब की रक्षा करता है आत्मा में कषाय, रागद्वेष ,विषय भोग के कारण व्यक्ति दुखी है। विदेशी डॉक्टर भी धर्म का महत्व समझते हैं।आरोग्य लोभ के बारे में आचार्य श्री ने विवेचना में बताया कि आप अपने जीवन को बचाने के लिए दवाइयां लेते हैं उसमें मांसाहार दवाइयों का ध्यान नहीं रखते हैं इंद्रीय लोभ में पांचो इंद्रियों के विषय भोग में आप लिप्त है। देव शास्त्र गुरु जिनालय में आप सौंदर्य प्रसाधन का बिना विवेक उपयोग करते हैं
आचार्य श्री ने अनेक कथाओं कथानक के माध्यम से इंद्रीय विषय लोभ के बारे में विवेचना की आचार्य श्री ने बताया कि धर्म सभा में प्रवचन को सुने, स्मरण करें ,चिंतन कर ग्रहण करें। धार्मिक पर्व आपके जीवन से दोष बुराई को निकालने की प्रेरणा देते हैं तभी आपका मानव जीवन सार्थक होगा। जयंतीलाल कोठारी एवं ऋषभ पचौरी ने बताया कि इसके पूर्व प्रातः श्री जी का पंचामृत अभिषेक हुआ धर्म सभा में मंगलाचरण श्रीमति सावन इंदोर ने तथा आदि सागर महिला मंडल द्वारा आचार्य श्री की विशेष पूजन धर्मसभा में की गई पुण्यशाली उपवास करने वालों द्वारा आचार्य श्री के चरण प्रक्षालन कर जिनवाणी भेंट की दशलक्षण पर्व में उपवास करने वाले व्रतियों ने आचार्य श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया।राजेश पंचोलिया इंदौर से प्राप्त जानकारी संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी 9929747312