स्मृति 2014 विदिशा वर्षायोग आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कहा था भारत जब तक इंडिया की कुंडली से चल रहा है तब तक वह भारत नहीं बन सकता
विदिशा|
पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का वह सपना वह उद्बोधन की इंडिया नहीं भारत बोलो अब सार्थक रूप लेता हुआ नजर आ रहा है और इसको लेकर संसद में भी विचार शुरू हो चुके हैं साथ ही साथ सरकारों द्वारा लिखे जाने वाले पत्रों का आदान-प्रदान विदेश में भेजने हेतु अब इंडिया की जगह भारत दिखा जाने लगा है। आगामी दिनों में जी देशों का शिखर सम्मेलन भारत में होने जा रहा है ऐसे में यह निर्णय इंडिया नहीं भारत नाम किया जा सकेगा।
वर्ष 2014 के विदिशा चातुर्मास में पूज्य आचार्य श्री ने इंडिया कहे जाने पर एक विशेष उद्बोधन दिया था जो आप तक बता रहे। उन्होंने कहा था भारत जब तक इंडिया की कुंडली से चल रहा है तब तक वह भारत नहीं बन सकता। यदि आप भारत की उन्नति चाहते है तो मन,वचन और काया को संतुलित रखकर उस योग्य काम करेंगे तभी उसकी मौलिकता सामने आएगी। नीति और न्याय के साथ ही अमूलचूल परिवर्तन संभव है। उक्त उद्गार आचार्य विद्यासागर महाराज ने शीतलधाम में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त थे।


इस प्रवचन सभा की बेला में उस समय की केंद्रीय मंत्री उमा भारती मौजूद थी सभा में मौजूद केंद्रीय मंत्री उमाभारती की ओर इंगित करते हुए आचार्यश्री ने कहा था कि बहुत प्रतीक्षा हो चुकी। अब समय गया है।
किसान ने जो बीजारोपण किया था वह ऊपर की ओर चुका है। जैसे कच्ची फसल को किसान हाथ नहीं गाता, उसके पकने की प्रतीक्षा करता है। दाना निकालकर भूसे का भी उपयोग करता है लेकिन वर्तमान में तो बीज ही नष्ट किया जा रहा है। घास-फूस भी नष्ट हो रहे हैं। मनुष्य अपने जीवन को तौल रहा है। विदेशी संस्कृति भारत पर हावी है। जानवरों की स्थिति मनुष्यों से कम होती चली जा रही है। यदि वास्तव में आप भारत के दर्शन करना चाहते हैं तो जानवरों की संख्या बढ़ाना होगी। इसलिए बिगड़ गए संतुलन को बनाना जरूरी है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

