पूज्य बनना बड़ा खतरनाक है यदि पूज्य पुरुष ने अपने शिष्य को दास समझ लिया तो उसी दिन से उसकी पूज्यता खत्म हो जाएगी सुधा सागर महाराज
आगरा
जिस किसी से तुम्हे इतना राग हो कि उसके लिए तुम सबकुछ छोड़ने के लिए तैयार हो, उसके राग पर मरने के लिए भी तैयार हो, ध्यान रखना एक दिन तुम उसी का नाश करोगे हरीपर्वत स्थित श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर के अमृत सुधा सभागार में निर्यापक मुनिपुगंव श्री सुधासागर जी महाराज ने मंगल प्रवचन को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ दुनिया आपको कैसे लग रही है| दुनिया जो कुछ भी है वो सब आपको कैसा लग रहा है, जिनके साथ आप दुनिया मे रहते है वे सब कैसे लग रहे है, तुम्ही हो दुनिया या तुम्हारे अलावा भी दुनिया है। यदि तुम्हे ऐसा लग रहा हो कि मैं ही दुनिया हूँ, सभी मेरे लिए है, मेरे अलावा कोई किसी का कुछ भी अस्तित्व नही है मैं सर्व सत्तामान हूँ तो महानुभाव बस इतना सोच लेना कि सामने वाला भी यही सोच रहा है। जब हर व्यक्ति यही सोचेगा तो तुम एक दूसरे का विनाश करोगे।
महाराज श्री ने कहा व्यक्ति हिटलरशाही क्यों बन जाता है, क्रोधादि कषाय क्यों बढ़ जाती है मात्र एक कारण है, दुनिया को हम अपने लिए मानते है, सारी दुनिया हमारी दास रहे। बस ये विचार जब आता है व्यक्ति पापी, हिंसक, क्रूर, हो जाता है, झूठ बोलने लगता है। पाँचों पापों का एक मूल कारण है, मैं ही दुनिया हूँ, सारी दुनिया मेरे लिए है। जब जब तुम्हे ये भाव आएगा तुम पापी हो जाओगे तुम्हे क्रोध आएगा।* जैसे आप पिता है और आपके बेटे से आपकी अपेक्षा है कि ये बेटा मेरे लिए है, मेरी अपेक्षा पूरी करेगा, सेवा करेगा और थोड़ा कभी वो आपकी बात नही मान पाया तो आपके अंदर इतने निकृष्ट भाव तक आ सकते है कि उसको मारने का भाव कर सकते हो। समझना तुम बेटे के पिता नही बने, तुम मालिक बने।


पिता और मालिक में अंतर है, पिता पूज्यनीय होता है, मालिक नही। बेटा मेरे लिए है ये भाव आने से बेटे का सुख तुम्हे कभी मिलेगा नही और अगले भव में तो तुम्हारे यहाँ बेटा ही नही होगा क्योंकि तुम बेटे के मालिक बने हो और बेटा तुमने अपने लिए पैदा किया है।

बड़े बनना, पूज्य बनना बड़ा खतरनाक है, यदि पूज्य पुरुष ने अपने भक्त को अपना दास समझ लिया तो ध्यान रखना उसी दिन उसकी पूज्यता खत्म हो जाएगी। कभी बेटे को अपने लिए जन्म नही देना और बेटे के मन मे ये भाव नही आये कि पिताजी मेरे लिए है, उनकी हर वस्तु मेरे लिए है, पिता बस मेरे लिए है गर ये भाव बेटे के मन मे आ गया तो बेटा बाप का मालिक बन गया वो इतना हिटलर होगा कि एक दिन पिता का मर्डर भी कर सकता है, जेल भी भेज सकता है, गाली भी दे सकता है। पिता मेरे लिए है बस एक छोटा सा भाव आया, गर ये भाव छह महीने से अधिक आ गया तो तुम्हारा बेटा दुर्योधन बन जायेगा। ऐसे पिता अपने बेटे से अपनी इज्जत बचाये और उससे अपनी इच्छाएं गौण कर दे और बेटे भी सावधान हो, तुम पिता के लिए हो,पिता तुम्हारे लिए नही, नही तो बहुत बड़ा अनर्थ हो जायेगा। 99% लोग हर सम्बन्ध अपने लिए बनाते है, सबसे पहले व्यक्ति सोचता है इससे मुझे क्या लाभ है और यह मेरे लिए है, यही से होती है पाप की शुरुआत।

जिन मिया-बीबी में पटती नही है,झगड़ा होता है उनसे ज्यादा खतरनाक वो है जिनमे दोनो में तीव्र राग होता है। जिसके प्रति तुम्हे राग है, सावधान उसी का तुम नाश कर दोगे। जिस किसी से तुम्हे इतना राग हो कि उसके लिए तुम सबकुछ त्यागने के लिए तैयार हो, उसके राग पर मरने के लिए तैयार हो ध्यान रखना एकदिन तुम उसी का नाश करोगे। जिससे तुम्हे राग है उसके लिए तुम अपना अहित भी कर लोगे, तुम धर्म भी छोड़ दोगे, तुम भगवान को, गुरु को भी छोड़ दोगे। दोनो तरफ यदि अगाढ़ राग है, प्रेम है तो समझना यह खतरे की झंडी है,द्वेष उतना खतरनाक नही है। बिटिया से खैरियत तभी तक है जब तक उसमे पुत्रीपना है, तभी तक तुम्हारी इज्जत है, कुल की मर्यादा है सावधान जिस दिन पुत्री में नारीपना जाग जाएगा उसी दिन तुम्हे ठुकराके न जाने किसके साथ भाग जाएगी। लव मैरिज वाले सुन लो माँ तेरे प्यार में मेतरानी बन गयी, माँ धोबिन बन गयी, गंदे कपड़े धोए है, पूछ उससे कभी ऐसी नौबत आ गयी तो क्या तुम्हारा प्रेमी ऐसी सेवा कर पायेगा, तुम्हारी प्रेमिका ऐसी सेवा कर पायेगी। 99 % जो जो बच्चे माँ- बाप का प्यार ठुकराकर के वासना का प्यार करते है वे जीवनभर दुखी ही होते है। वो सीधे कह देगी कि मैंने इसके लिए थोड़े ही प्यार किया, रानी बनकर रहूंगी और यहाँ तुम्हारी माँ मेतरानी बनने के लिए तैयार है।
मीडिया प्रभारी शुभम जैन ने बताया कि धर्मसभा में सौभाग्यशाली भक्तों ने संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्वलन किया, साथ ही भक्तों ने गुरुदेव का पाद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंटकर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया| इस दौरान श्री दिगंबर जैन धर्म प्रभावना समिति, आगरा दिगंबर जैन परिषद एवं बाहर से आए हुए गुरुभक्तों ने गुरुदेव के चरणों में श्रीफल भेंट किया| धर्मसभा का संचालन मनोज जैन बाकलीवाल द्वारा किया|
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

