सुर स्वर आवाज के साथ जैन जगत की नही सम्पूर्ण जगत की शान थे दादा रविन्द्र जैन

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सुर स्वर आवाज के साथ जैन जगत की नही सम्पूर्ण जगत की शान थे दादा रविन्द्र जैनदादा रविन्द्र जैन की पुण्य तिथि पर भाव भीना नमन

प्रख्यात संगीतकार गीतकार जिन्होने संगीत को अनेक उच्चाईयो को दिखाया ऐसे महान दादा श्री रवीन्द्र जी जैन मस्तकाभिषेक महावीर की मुंगावरणी जैसे भजन की रचना उन्होने अपने भजन मे कहा हम नहीं दिगंबर श्वेताम्बर तेरहपंथी थानकवासी हम एक मत के विश्वासी एक मत के अनुयायी आपस मे कोई मतभेद न हो उनके विषय मे इतिहास पन्नो पर एक मिसाल अवश्य दी जायेगी सन 1982 से 2006 तक के महामस्तकाभिषेक श्रवणबैलगोला आप उपस्तिथ रहे रा हर बार आपके द्वारा भजन गाया जाता रहा वहा बाहूबलि भगवांन का मस्तकाभिषेक उन्होने वर्ष 2006 मे कहा था श्रवणबेलगोला मे जहा रचा ये गीत गोमटेश के द्वारे गाकर हुयी हमारी जीत भारत भर मे गूंज गया वो यहाँ रचा जो गीत ऐसी दूरदर्शिता को रखने वाला महान व्यक्तित्व आज जैन जगत ही नहीं अपितु संगीत जगत के लिए सदा सदा स्मृति पटल पर अंकित है

 

 

 

रामगंजमडी से जुड़ी स्म्रति

वे रामगंजमडी युवादल व कोटा स्टोन जुनियर चेम्बर के द्वारा आयोजित समारोह में भी आए थे उन्होंने रामगंजमंडी के शान्तिनाथ जिनालय के दर्शन भी किये थे तब उन्होंने मस्तकाभिषेक भजन को भी सुनाया था  युवा दल पर भी उन्होनें एक गीत गाकर सुनाया था यह स्म्रति 1996 की है

मेरी और से भाव भीनी श्रदांजलि
अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमंडी
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