राजस्थान के अजमेर शहर के वरिष्ठ कवि श्री रिखब चंद रांका ‘कल्पेश’ आज देश विदेश में एक जाना पहचाना नाम है।
स्वाती जैन हैदराबाद की कलम से
राजस्थान के अजमेर शहर के वरिष्ठ कवि श्री रिखब चंद रांका ‘कल्पेश’ आज देश विदेश में एक जाना पहचाना नाम है। हाल ही में इन्हें नेपाल की राजधानी काठमांडू में विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है। इससे पहले भी 2022 में इन्हें काठमांडू में अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षक शिरोमणि अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
स्वाती जैन हैदराबाद ने उनके बारे जाना सभी को ऐसी विभूति के बारे में बताया की आखिर इनकी रचनाएं देश में ही नहीं विदेशों के समाचार पत्रों में भी प्रकाशित होती रहती हैं और अकेले 2019 में ही इन्हें विभिन्न संस्थाओं से लगभग
100 सम्मान प्राप्त हुये जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
इतना ही नही वहीं हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलवाने के लिए भी ये अथक प्रयास कर रहे हैं।
संस्कृत माध्यम से पले बढ़े कल्पेश जी ने अपनी बीएड की डिग्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ तिरूपति से प्राप्त की ऐसे में शुरू से ही इनका झुकाव काव्य रचना करने व प्राचीन भाषाओं के प्रचार प्रसार करने में था लेकिन यह भावना तब और फलीभूत हुई जब 1996 में इन्हें पता चला कि हिंदी को अभी तक भी राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिला है यह जानकर इन्हें बहुत दुख हुआ और मातृभाषा उन्नयन संस्थान के अविचल जैन अर्पण जी के नेतृत्व में हिंदी में हस्ताक्षर अभियान और पोस्ट कार्ड अभियान चलाने के लिए कार्य किया।
क्योंकि ये मानते हैं कि पूरे देश की एकता के लिए सर्वमान्य एकभाषा की बड़ी आवश्यकता है।
कल्पेश जी इस बात पर आश्चर्य करते हैं कि अभी तक 12 विश्व हिंदी सम्मेलन हो चुके हैं लेकिन किसी ने यह प्रण नहीं लिया कि हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के बाद ही हिंदी सम्मेलन करेंगे। इस विषय पर वह इसके अध्यक्ष विनोद मिश्रा जी को पत्र भी लिख चुके हैं।
अपने काव्य सफर की शुरुआत के बारे में ये कहते हैं कि इन्होंने सबसे पहले बसंत पंचमी पर सरस्वती वंदना लिखी और उसके बाद बस ये लिखते चले गये और अभी तक इनकी पांच काव्य पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जो कि भारत सरकार के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुस्तकालय कोलकाता में पढ़ने के लिए उपलब्ध हैं।
इनकी पुस्तक गुरूदेव अमृतवाणी आचार्य विद्यासागर जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित है जिसे इन्होंने आचार्य श्री की 50 वीं स्वर्ण जयंती पर उन्हें समर्पित किया। वहीं अजमेर शहर की खूबसूरती पर तरुण सागर महाराज जी की प्रेरणा से इन्होंने अजमेर शहर है मेरा नाम की बहुत ही अनूठी पुस्तक लिखी जिसके लिए कल्पेश जी को यूके से भी प्रमाणपत्र दिया गया। इनकी काव्य वातायन नामक पुस्तक में देश प्रेम और प्रकृति को वर्णित किया गया है तो काव्य मेध इनकी गुरु मां विशुद्धमति माताजी पर भावों की मणिमाला है।
गुरूदेव अमृतवाणी और काव्य मेध पुस्तक प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा भी सराही गयी हैं।
देश की ज्यादातर बड़ी साहित्यिक संस्थाओं ने इन्हें सम्मानित किया है। राजस्थान गौरव रत्न सम्मान, मायड़ बोली रत्न सम्मान, राष्ट्रीय युवा संसद रत्न सम्मान, साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा विद्यावाचस्पति की उपाधि जैसे सम्मान इन्हें मिले हैं।
लेकिन मातृभाषा उन्नयन संस्थान इंदौर द्वारा मिला भाषा सारथी सम्मान इनकी उपलब्धियों में सोने पर सुहागा है। जिसके बारे में दैनिक भास्कर एज्यूकेशन व राजस्थान सामान्य ज्ञान तक में प्रश्न पूछा गया है।
कल्पेश जी कहते हैं कि अमेरिका, आस्ट्रेलिया कनाडा दक्षिण अफ्रीका , मॉरीशस आदि देशों से होने वाली अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठियों में इनकी लगातार सहभागिता रहती है।
मुख्य रूप से देश प्रेम, हिंदी भाषा, समय की महिमा, मां ,भक्ति प्रेम जैसे विषयों पर कल्पेश जी ने इतनी भावपूर्ण कलम चलायी है कि वो दिल को छू जाती है और इनकी सभी कविताएं बड़े काव्य मंचों और सम्मान समारोहों में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हैं।
इनकी मां तुम महान हो कविता विक्की वर्ल्ड रिकॉर्ड में पुरस्कृत है
मां तुम महान हो, जग का तुम आधार हो
रीति तुम नीति तुम, तुम संस्कार की खान है।
तो हिंदी की बिंदी में शान कविता कनाडा की वसुधा पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं।
हिंदी भाषा की बिंदी में शान
तिरंगे के गौरव गाथा की आन
कबीर मीरा तुलसी रसखान
सबने गाया हिंदी का गुणगान।
वहीं जब ये अपनी लिखी हास्य से परिपूर्ण कविता ‘यमराज आये मेरे द्वार’ सुनाते हैं तो इनकी रचनात्मक काव्य लेखन पर अनायास ही मोहर लग जाती है।
अभी वर्तमान में ये अपने रांका परिवार की सात पीढ़ियों का डेटा संग्रहित कर वंशावली तैयार कर रहे हैं जिसका नाम है छकड्यों रांका रो। इस तरह का अनुपम प्रयास इनसे पहले शायद कुछ ही लोगों ने किया है।
अपनी हर सफलता का श्रेय गुरु मां आर्यिका विशुद्धमति माताजी को देने वाले विद्वान श्री कल्पेश जी कभी कभी अपनी कलम को विराम देकर जयपुर में एक एड्स पीड़ितों की संस्था नया सवेरा के बच्चों के साथ भी समय गुजारते हैं और प्रतिमाह यहां अर्थदान करते हैं।
स्वाती जैन हैदराबाद से प्राप्त जानकारी
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी