संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज ने प्राकृताचार्य चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य श्री 108 सुनील सागर महाराज द्वारा रचित ग्रंथ को पढकर कहा ऐसा ग्रन्थ पहली बार देखा
सिरपुर
यह क्षण बहुत अविस्मरणीय व चिरकालिक कहे जाएगे यह क्षण था जब प्राकृताचार्य आचार्य श्री 108 सुनील सागर जी गुरुदेव द्वारा रचित *सुनील प्राकृत समग्र एवं तत्वार्थ सूत्र का ब्राम्ही लिपयंतरण ग्रन्थ | को आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को भेंट किया गया ये ग्रंथ आचार्य श्री को महावीर शास्त्री सोलापुर वालो ने आचार्य गुरुदेव को भेंट किया तब गुरुदेव ने उसे तन्मयता औऱ मर्मज्ञता के साथ पढा। तब गुरुदेव हर्षित हो उठे पूरी पुस्तक पढ़ने के बाद कहा की
इसमें *भावना सार , प्रतिक्रमण पाठ , भक्ति एवं तत्वार्थ सूत्र ब्राम्ही*में पहली बार देखा हे ,उन्होंने अपने शब्दों में कहा की ऐसा ग्रंथ विश्व में पहली बार बना हे। ओर गुरुदेव ने कुछ पुस्तकें उनकी पाठशाला में रखने एवं पढ़ाने के लिए मँगवायी हे

ज्ञान के भडांर हमारे दोनो पूज्य आचार्य भगवन्तों का यह संकेत समाज को एक नई दिशा देता है। और समाज को एक नई ज्योति प्रदान करता है।
अभिषेक जैन लुहाडिया रामगंजमडी

